ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 29 अगस्त 2024*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌦️ अमांत – 14 गते भाद्रपद मास प्रविष्टि*
*🌦️ राष्ट्रीय तिथि – 9 श्रावण मास*
*⛅मास – भाद्रपद*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – एकादशी रात्रि 01:37 अगस्त 30 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र – आर्द्रा शाम 04:39 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग – सिद्धि शाम 06:18 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल – दोपहर 01:53 से दोपहर 03:28 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:53*
*⛅सूर्यास्त – 06:43*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:15 से 01:06 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:18 अगस्त 30 से रात्रि 01:03 अगस्त 30 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – अजा एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग (शाम 04:39 से प्रातः 06:21 अगस्त 30 तक), व्यतिपात योग (शाम 06:19 से शाम 05:47 अगस्त 30 तक)*
*⛅विशेष – एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकादशी विशेष🔹*
*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*
*🔸 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*🔸 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*🔸 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*🔸 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*🔸 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*
*🔸 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*
*🔸 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।