ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 20 जुलाई 2024*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*🌤️अमांत – 5 गते श्रवण मास प्रविष्टि*
*🌤️राष्ट्रीय तिथि – 30 आषाढ़ मास*
*⛅मास – आषाढ़*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – चतुर्दशी शाम 05.59 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र – पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र रात्रि 01.49 जुलाई 21 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*⛅योग – वैधृति रात्रि 12:08 जुलाई 21 तक तत्पश्चात विष्कुंभ*
*⛅राहु काल – प्रातः 08:58 से प्रातः 10:41 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:29*
*⛅सूर्यास्त – 07:18*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:40 से 05:23 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12.19 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 21 से रात्रि 01:07 जुलाई 21 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – कोकिला व्रत, आषाढ़ चौमासी चौदस*
*⛅विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना व लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹प्रायश्चित जप🔹*
*🔸पूर्वजन्म या इस जन्म का जो भी कुछ पाप-ताप है, उसे निवृत्त करने के लिए अथवा संचित नित्य दोष के प्रभाव को दूर करने के लिए प्रायश्चितरूप जो जप किया जाता है उसे प्रायश्चित जप कहते हैं |*
*🔸कोई पाप हो गया, कुछ गल्तियाँ हो गयीं, इससे कुल-खानदान में कुछ समस्याएँ हैं अथवा अपने से गल्ती हो गयी और आत्म-अशांति है अथवा भविष्य में उस पाप का दंड न मिले इसलिए प्रायश्चित – संबंधी जप किया जाता है |*
*ॐ ऋतं च सत्यं चाभिद्धात्तपसोऽध्यजायत |*
*ततो रात्र्यजायत तत: समुद्रो अर्णव: ||*
*समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत |*
*अहोरात्राणि विदधद्विश्वस्य मिषतो वशी ||*
*सूर्याचन्द्रमसौ धाता यथापूर्वमकल्पयत् |*
*दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व: || (ऋग्वेद :मंडल १०, सूक्त १९०, मंत्र १ – ३ )*
*🔸इन वेदमंत्रों को पढ़कर त्रिकाल संध्या करें तो किया हुआ पाप माफ हो जाता है, उसके बदले में दूसरी नीच योनियाँ नहीं मिलतीं | इस प्रकार की विधि है |*
*🔹लक्ष्मी कहाँ विराजती हैं ?*
*🔸जहाँ भगवान व उनके भक्तों का यश गाया जाता है वहीँ भगवान की प्राणप्रिया भगवती लक्ष्मी सदा विराजती है | (श्रीमद् देवी भागवत )*
*🔹मन चंचल हो तो🔹*
*🔸जब भी संध्या करने बैठे सुबह या शाम को | तो २४ बार मन में राम नाम का उच्चारण करके फिर बैठे | खाली २४ बार, उँगलियों पर नहीं गिनना १,२,३ मन में ही जपना मन में ही गिनती करना | मन चंचल हो तो इससे मन शांत हो जाता है कई लोग बोलते हैं न हम जप करने बैठते हैं मन नहीं लगता | तो २४ बार करके बैठे | अपनी मन की आँखों के आगे अपने इष्ट अपने गुरु को रखें | कि मेरा मन जप में, ध्यान में, उपासना में लग जाये | तो बड़ा भारी लाभ होता है | तो ब्रह्म राम ते नाम बड़, वरदायक वरदानी | ये नाम जो है वरदान देने वालो को भी वर देने वाला है | ऐसी इस नाम में शक्ति है |