पहाड़ का सच नैनीताल।
विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले में सरकारी धन की रिकवरी की मांग को लेकर दायर एक याचिका में नैनीताल हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते में कार्मिक सचिव को जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर भर्ती मामले में देहरादून निवासी अभिनव थापर की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जनहित याचिका में अभिनव थापर ने उत्तराखंड राज्य गठन से लेकर अब तक अवैध रूप से नौकरी देने वाले अफसरों, विधानसभा व सरकार में बड़े पदों पर बैठे हुए लोगों से सरकारी धन वसूलने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया था कि विधानसभा ने एक जांच समिति बनाकर साल 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया था, लेकिन यह घोटाला सन् 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था। जिसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अब तक अपने करीबियों को पिछले दरवाजे से नौकरी लगाने में शामिल विधानसभा व सरकार में बैठे हुए लोगों ने चुप्पी साधी हुई है।
28 फरवरी 2024 को हाईकोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए कि 2021 से 2022 तक सभी विधानसभा बैकडोर भर्तियों को बिना नियमों के नियुक्त किया गया था। इसीलिए 06.02.2003 की कार्रवाही पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें, लेकिन आज उत्तराखंड सरकार ने फिर कार्मिक सचिव को जवाब दाखिल करने के लिये समय मांगा है।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 6 फरवरी के 2003 शासनादेश, जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, सरकारी धन के दुरुपयोग की वसूली, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन, जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है,का जिक्र किया।
जनहित याचिका में हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की संयुक्त पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा और याचिकाकर्ता को तथ्यों और रिकॉर्ड से भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर 28.02.2024 को सहमत हुए हैं। 6 फरवरी के 2023 शासनादेश के अनुरूप कार्रवाही हेतु निर्देश दिए थे, जिसमें “माननीयों से रिकवरी” व अन्य प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख है, किंतु कई महीनों बाद भी राज्य सरकार का कोई जवाब नहीं आया। अतः आज 10 सितंबर को हाईकोर्ट ने सरकार को कड़े निर्देश दिये और कार्मिक सचिव को 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2024 को होगी।