ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 11 अगस्त 2024*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – वर्षा*
*🌦️ अमांत – 28 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
*🌦️ राष्ट्रीय तिथि – 21आषाढ़ मास*
*⛅मास – श्रावण*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – सप्तमी पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र – स्वाति पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग – शुभ दोपहर 03:49 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल – शाम 05:19 से शाम 06:58 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:43*
*⛅सूर्यास्त – 07:02*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:47 से 05:31 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:19 से दोपहर 01:11 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:23 अगस्त 12 से रात्रि 01:07 अगस्त 12 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से 12 अगस्त सूर्योदय तक), द्विपुष्कर योग (प्रातः 05:44 से प्रातः 05:49 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 05:44 से प्रातः 06:15 तक)*
*⛅विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते है और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹लसोड़ा ( गोंदी ) सेवन से स्वास्थ्य लाभ 🔹*
*👉 लसोड़ा को हिन्दी में गोंदी, गोंदे और निसोरा भी कहते हैं । यह मधुर, कसैला, शीतल, कृमिनाशक, विषनाशक, बालों के लिए हितकारी, अग्निवर्द्धक, वातशामक, पाचक, कफ निकालनेवाला, अतिसार व जलन दूर करनेवाला, दर्द और सब प्रकार के विष को नष्ट करनेवाला होता है ।*
*👉 इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, आयरन, फॉस्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं । यह हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत देता है । कच्चे लसोड़े का साग और अचार भी बनाया जाता है ।*
*🔹लसोड़े के औषधीय उपचार 🔹*
*🔸अतिसार : लसोड़े की छाल को पानी में घिसकर पिलाने से अतिसार ठीक होता है ।*
*🔸हैजा (कालरा) : लसोडे़ की छाल को चने की छाल में पीसकर हैजा के रोगी को पिलाने से हैजा रोग में लाभ होता है ।*
*🔸दांतों का दर्द : लसोड़े की छाल का काढ़ा बनाकर उस काढ़े से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है ।*
*🔸शक्तिवर्द्धक : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को चीनी की चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें । इसको खाने से शरीर मोटा होता है और कमर मजबूत जाती है ।*
*🔹शोथ (सूजन) : लसौड़े की छाल को पीसकर उसका लेप आंखों पर लगाने से आंखों के शीतला के दर्द में आराम मिलता है ।*
*🔹पुनरावर्तक ज्वर : लसोड़ा की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर को सुबह और शाम सेवन करने से लाभ होता है ।*
*🔹प्रदर रोग : लसोड़ा के कोमल पत्तों को पीसकर रस निकालकर पीने से प्रदर रोग और प्रमेह दोनों मिट जाते हैं ।*
*🔹दाद : लसोड़ा के बीजों की मज्जा को पीसकर दाद पर लगाने से दाद मिट जाता है ।*
*🔹फोड़े-फुंसियां : लसोड़े के पत्तों की पोटली बनाकर फुंसियों पर बांधने से फुंसिया जल्दी ही ठीक हो जाती हैं ।*
*🔹गले के रोग : लसोड़े की छाल के काढ़े से कुल्ला करने से गले के सारे रोग ठीक हो जाते हैं ।*
*🔹 नोट: इसका स्वभाव शीतल होता है । लसोड़ा का अधिक मात्रा में उपयोग मेदा (आमाशय) और जिगर के लिए हानिकारक हो सकता है
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