
देहरादून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है। विजयदशमी के दिन 1925 में संघ की स्थापना हुई थी और तब से संघ विजयादशमी उत्सव मनाता चला आ रहा है। यह वर्ष संघ का शताब्दी वर्ष है और 2025 विजयादशमी से 2026 विजयादशमी तक संघ शताब्दी वर्ष मनाएगा।

वहीं आज सुबह 9 बजे मानकसिद्ध नगर में संघ का स्थापना दिवस मनाया गया, मुख्य वक्ता के संबोधन से पहले स्वयं सेवकों द्वारा ध्वज प्रणाम, शस्त्र पूजन, घेाषवाद, प्रदक्षिणा, गीत, योग, शारीरिक व्यायाम किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने विजयदशमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पर्व केवल श्रीराम की रावण पर विजय का स्मरण मात्र नहीं, बल्कि सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक है। उन्होंने संघ के संस्थापक पूजनीय डॉ. हेडगेवार की दूरदृष्टि का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय हिंदू समाज जाति, भाषा और प्रांतों के भेद में बंटकर दुर्बल हो रहा था। ऐसे समय में संघ की स्थापना कर समाज को संगठन, आत्मबल और आत्मस्वाभिमान से जोड़ा गया।
मानक सिद्ध नगर में मुख्य वक्ता तरुण जी रहे, जो कि वर्तमान में महानगर मिलन प्रमुख का दायित्व निभा रहे हैं समारोह के अध्यक्ष डा. हेमंत उपाध्याय रहे। मुख्य शिक्षक के रूप में राकेश नैनवाल उपस्थित रहे। समारोह में बड़ी संख्या में स्वयं सेवकों ने भाग लिया।
बनियावाला में भी धूमधाम से मनाया गया संघ का स्थापना दिवस
वहीं आज शाम 4 बजे बनियावाला में भी संघ का स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्वयं सेवकों ने भाग लिया। मुख्य वक्ता के संबोधन से पहले स्वयं सेवकों द्वारा ध्वज प्रणाम, शस्त्र पूजन, घेाषवाद, प्रदक्षिणा, गीत, योग, शारीरिक व्यायाम किया गया।
वहीं मुख्य वक्ता ने संघ के सौ वर्षों की गौरवशाली यात्रा को सेवा, अनुशासन, स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन और सामाजिक समरसता का प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने समाज को धर्मांतरण और विघटनकारी षड्यंत्रों से सचेत रहने का आह्वान किया तथा उपेक्षित और वंचित वर्गों की सेवा को सच्चे राष्ट्रधर्म की संज्ञा दी।
उन्होंने कहा कि महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलकर ही भारत माता को विश्वगुरु और शांति का प्रतीक बनाया जा सकता है। वक्ता ने युद्धकाल, आपदाओं और दुर्घटनाओं के दौरान संघ द्वारा किए गए सेवा कार्यों का उल्लेख कर शाखा एवं संगठन से प्राप्त संस्कारों को बल दिया।
बनियावाला में मुख्य वक्ता के रूप में सतेंद्र जी, जो कि वर्तमान में प्रांत कार्यालय प्रमुख का दायित्व निभा रहे हैं, उपस्थित रहे। समारोह के अध्यक्ष उर्वा दत्त पांडे रहे, मुख्य शिक्षक के रूप में राकेश नैनवाल के साथ ही बड़ी संख्या में स्वयं सेवक उपस्थित रहे।
शताब्दी वर्ष के इस आरंभिक आयोजन में स्वयंसेवकों का उत्साह और समाज की व्यापक भागीदारी ने यह संदेश दिया कि हिंदू समाज अपनी परंपरा, संस्कृति और संगठन शक्ति के बल पर भारत को सशक्त और विश्वगुरु बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
