
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞 ~ वैदिक पंचांग ~ 🌞
⛅दिनांक – 02 दिसम्बर 2025
⛅दिन – मंगलवार
⛅विक्रम संवत् – 2082
⛅अयन – दक्षिणायण
⛅ऋतु – हेमंत
⛅ अमांत – 17 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि
⛅ राष्ट्रीय तिथि – 11 मार्गशीर्ष मास
⛅मास – मार्गशीर्ष
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – द्वादशी दोपहर 03:57 तक तत्पश्चात् त्रयोदशी
⛅नक्षत्र – अश्विनी रात्रि 08:51 तक तत्पश्चात् भरणी
⛅योग – वरीयान् रात्रि 09:08 तक तत्पश्चात् परिघ
⛅राहुकाल – दोपहर 02:39 से शाम 03:56 तक ( हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅सूर्योदय – 06:54
⛅सूर्यास्त – 05:17 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 05:07 से प्रातः 05:59 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:55 से दोपहर 12:38 (उज्जैन मानक समयानुसार)
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:50 से रात्रि 12:43 दिसम्बर 03 तक (उज्जैन मानक समयानुसार)
🌥️व्रत पर्व विवरण – मत्स्य द्वादशी, भौम प्रदोष व्रत, अमृतसिद्धि योग, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 06:52 से रात्रि 08:51 तक)
🌥️विशेष – द्वादशी को पूतिका (पोइ) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
🔹मंत्रजप – संबंधी सावधानियाँ🔹
🔸१] माला हेतु स्वच्छता: जूठे मुँह, जूठे हाथ या मल-मूत्र या किसी विवशता में साधना से उठना पड़े तो माला लेकर बैठ गये, नहीं । हाथ-पैर धोकर या स्नान करके मंत्रजप करें । माला पहनकर शौचालय में नहीं जाना चाहिए, अगर चले गये तो मालासहित स्नान कर लें और माला धो के पहन लें । स्त्रियों को रात्रि में मासिक धर्म हो गया हो तो स्नान जरुर कर लेना चाहिए ।
🔸२] मासिक धर्म में : महिलाओं को मासिक धर्म में न तो माला पहननी चाहिए न माला घुमानी चाहिए और न ॐकार मंत्र जपना चाहिए । जैसे ‘हरि ॐ’ मंत्र है तो ‘हरि, कर हरि’ जपें, ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र है तो ‘नम:शिवाय’ जपें ।’ॐ ऐं नम:’ है तो ‘ऐं नम:’ जपें ।
🔸३] जननाशौच व मरणाशौच में : जननाशौच (संतान – जन्म के समय लगनेवाला अशौच अर्थात सूतक ) के समय प्रसूतिका स्त्री (संतान की माता ) ४० दिन तक व संतान का पिता १० दिन तक माला लेकर जप न करें । इसी प्रकार मरणाशौच (मृत्यु के समय लगनेवाला अशौच अर्थात पातक) में १३ दिन तक माला लेकर जप नहीं किया जा सकता किंतु मानसिक जप तो प्रत्येक अवस्था में किया जा सकता है ।
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