
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 01 दिसम्बर 2025
⛅दिन – सोमवार
⛅विक्रम संवत् – 2082*
⛅अयन – दक्षिणायण
⛅ऋतु – हेमंत
⛅ अमांत – 16 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि
⛅ राष्ट्रीय तिथि – 10 मार्गशीर्ष मास
⛅मास – मार्गशीर्ष
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – एकादशी शाम 07:01 तक तत्पश्चात् द्वादशी
⛅नक्षत्र – रेवती रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात् अश्विनी
⛅योग – व्यतीपात रात्रि 12:59 दिसम्बर 02 तक तत्पश्चात् वरीयान्
⛅राहुकाल – सुबह 08:16 से सुबह 09:32 तक ( हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅सूर्योदय – 06:54
⛅सूर्यास्त – 05:17 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में
⛅ब्रह्ममुहूर्त – प्रातः 05:06 से प्रातः 05:59 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:54 से दोपहर 12:38 (हरिद्वार मानक समयानुसार)
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:50 से रात्रि 12:43 दिसम्बर 02 तक (हरिद्वार मानक समयानुसार)
🌥️व्रत पर्व विवरण – मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती, व्यतीपात योग (प्रातः 04:22 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 02 तक)
🌥️विशेष – एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
🔹शीतकाल में बलसंवर्धनार्थ : मालिश🔹
🔸शीतकाल बलसंवर्धन का काल है । इस काल में सम्पूर्ण वर्ष के लिए शरीर में शक्ति का संचय किया जाता है । शक्ति के लिए केवल पौष्टिक, बलवर्धक पदार्थों का सेवन ही पर्याप्त नहीं है अपितु मालिश (अभ्यंग), आसन, व्यायाम भी आवश्यक हैं )
🔹उपयुक्त तेल : मालिश के लिए तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ माना गया है । यह उष्ण व हलका होने से शरीर में शीघ्रता से फैलकर स्त्रोतसों की शुद्धि करता है । यह उत्तम वायुनाशक व बलवर्धक भी है । स्थान, ऋतू, प्रकृति के अनुसार सरसों, नारियल अथवा औषधसिद्ध तेलों (आश्रम में उपलब्ध आँवला तेल) का भी किया जा सकता है । सर के लिए ठंडे व अन्य अवयवों के लिए गुनगुने तेल का उपयोग करें ।
🔸मालिश काल : मालिश प्रात:काल में करनी चाहिए । धुप की तीव्रता बढ़ने पर व भोजन के पश्चात न करें । प्रतिदिन पुरे शरीर की मालिश सम्भव न हो तो नियमित सिर व पैर की मालिश तथा कान, नाभि में तेल डालना चाहिए ।
🔹सावधानी : मालिश के बाद ठंडी हवा में न घूमें । १५ – २० मिनट बाद सप्तधान्य उबटन या बेसन अथवा मुलतानी मिट्टी लगाकर गुनगुने पानी से स्नान करें । नवज्वर, अजीर्ण व कफप्रधान व्याधियों में मालिश न करें । स्थूल व्यक्तियों में अनुलोम गति से अर्थात ऊपर से नीचे की ओर मालिश करें ।
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