 
        
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌤️ *दिनांक – 31 अक्टूबर 2025*
🌤️ *दिन – शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2082*
🌤️ *शक संवत – 1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – हेमंत ऋतु*
⛅ *अमांत – 15 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
⛅ *राष्ट्रीय तिथि – 9 कार्तिक मास*
🌤️ *मास – कार्तिक*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – नवमी सुबह 10:03 तक तत्पश्चात दशमी*
🌤️ *नक्षत्र – धनिष्ठा शाम 06:51 तक तत्पश्चात शतभिषा*
🌤️ *योग – वृद्धि 01 नवम्बर प्रातः 04:32 तक तत्पश्चात ध्रुव*
🌤️ *राहुकाल – सुबह 10:39 से दोपहर 12:00 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 06:32*
🌤️ *सूर्यास्त – 05:29*
👉 *दिशाशूल – पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण- अक्षय-आँवला नवमी, ब्रह्मलीन भगवत्पाद साॅई श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस, पंचक (आरंभ – सुबह 06:48)*
💥 *विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🕉️~*वैदिक पंचांग* ~🕉️
🌷 *त्रिस्पृशा का महायोग* 🌷
🙏🏻 *त्रिस्पृशा का महायोग : हजार एकादशियों का फल देनेवाला व्रत*
➡️ *01 नवम्बर 2025 शनिवार को सुबह 09:11 से 02 नवम्बर 2025 रविवार को सुबह 07:31 तक एकादशी है।*
💥 *विशेष – 02 नवम्बर, रविवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।*
➡ *02 नवम्बर 2025 रविवार को त्रिस्पृशा देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी है ।*
🙏🏻 *एक ‘त्रिस्पृशा एकादशी’ के उपवास से एक हजार एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है । इस एकादशी को रात में जागरण करनेवाला भगवान विष्णु के स्वरूप में लीन हो जाता है ।*
🙏🏻 *‘पद्म पुराण’ में आता है कि देवर्षि नारदजी ने भगवान शिवजी से कहा : ‘‘सर्वेश्वर ! आप त्रिस्पृशा नामक व्रत का वर्णन कीजिये, जिसे सुनकर लोग कर्मबंधन से मुक्त हो जाते हैं ।”*
🙏🏻 *महादेवजी : ‘‘विद्वान् ! देवाधिदेव भगवान ने मोक्षप्राप्ति के लिए इस व्रत की सृष्टि की है, इसीलिए इसे ‘वैष्णवी तिथि कहते हैं । भगवान माधव ने गंगाजी के पापमुक्ति के बारे में पूछने पर बताया था : ‘‘जब एक ही दिन एकादशी, द्वादशी तथा रात्रि के अंतिम प्रहर में त्रयोदशी भी हो तो उसे ‘त्रिस्पृशा’ समझना चाहिए । यह तिथि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देनेवाली तथा सौ करोड तीर्थों से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है । इस दिन भगवान के साथ सदगुरु की पूजा करनी चाहिए ।”*
🙏🏻 *यह व्रत सम्पूर्ण पाप-राशियों का शमन करनेवाला, महान दुःखों का विनाशक और सम्पूर्ण कामनाओं का दाता है । इस त्रिस्पृशा के उपवास से ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं । हजार अश्वमेघ और सौ वाजपेय यज्ञों का फल मिलता है । यह व्रत करनेवाला पुरुष पितृ कुल, मातृ कुल तथा पत्नी कुल के सहित विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है । इस दिन द्वादशाक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का जप करना चाहिए । जिसने इसका व्रत कर लिया उसने सम्पूर्ण व्रतों का अनुष्ठान कर लिया ।*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *अकाल मृत्यु से रक्षा हेतु विशेष आरती* 🌷
➡️ *02 नवम्बर 2025 रविवार को देवउठी एकादशी कपूर आरती ।*
🙏🏻 *देवउठी एकादशी देव-जगी एकादशी के दिन को संध्या के समय कपूर आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है; एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है l*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *भीष्म पंचक व्रत* 🌷
➡ *01 नवम्बर 2025 शनिवार से 05 नवम्बर 2025 बुधवार तक भीष्म पंचक व्रत है ।*
🙏🏻 *कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत ‘भीष्म-पंचक व्रत’ कहलाता है l जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है l यह महापुण्य-मय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है l*
🙏🏻 *कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्मजी ने जल कि याचना कि थी l तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी कि धार निकली और भीष्मजी के मुंह में आयी l उनकी प्यास मिटी और तन-मन-प्राण संतुष्ट हुए l इसलिए इस दिन को भगवान् श्री कृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा कि ‘आज से लेकर पूर्णिमा तक जो अर्घ्यदान से भीष्मजी को तृप्त करेगा और इस भीष्मपंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी l’*
🌷 *कौन यह व्रत करें* 🌷
👉🏻 *निःसंतान व्यक्ति पत्नीसहित इस प्रकार का व्रत करें तो उसे संतान कि प्राप्ति होती है l*
👉🏻 *जो अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं, वैकुण्ठ चाहते हैं या इस लोक में सुख चाहते हैं उन्हें यह व्रत करने कि सलाह दी गयी है l*
👉🏻 *जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्मजी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है l*
🌷 *वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च l*
*अपुत्राय ददाम्येतदुद्कं भीष्म्वर्मणे ll*
*वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च l*
*अर्घ्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ll*
🙏🏻 *’जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित वसुओं के अवतार, शांतनु के पुत्र आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूँ l ( स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक महात्मय )*
🌷 *व्रत करने कि विधि* 🌷
*इस व्रत का प्रथम दिन देवउठी एकादशी है l इस दिन भगवान् नारायण जागते हैं l इस कारण इस दिन निम्न मंत्र का उच्चारण करके भगवान् को जगाना चाहिए :*
🌷 *उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज l*
*उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु ll*
🙏🏻 *’हे गोविन्द ! उठिए, उठए, हे गरुडध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत ! निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये l’*
➡ *इन पांच दिनों में अन्न का त्याग करें l कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है ) लें l*
➡ *इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व् गोबर-रस का मिश्रण )का सेवन लाभदायी है l पानी में थोडा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है l*
➡ *इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए l*
➡ *भीष्मजी को अर्घ्य-तर्पण -*
*इन पांच दिनों निम्नः मंत्र से भीष्म जी के लिए तर्पण करना चाहिए :*
🌷 *सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने l*
*भीष्मायैतद ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ll*
🙏🏻 *’आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाले परम पवित्र, सत्य-व्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देता हूँ l’*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️🙏🏻हर हर महादेव 🙏🏻
पंचक
प्रारंभ: 31 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार) सुबह 6:48 बजे
समाप्ति (उस काल की): 4 नवंबर 2025 (मंगलवार) दोपहर 12:34 बजे
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