
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞

🌤️ *दिनांक – 03 जुलाई 2025*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)*
🌤️ *शक संवत -1947*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ॠतु*
🌤️ *अमांत – 19 गते आषाढ़ मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 12 आषाढ़ मास*
🌤️ *मास – आषाढ*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – अष्टमी दोपहर 02:06 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र – हस्त दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात चित्रा*
🌤️ *योग – परिघ शाम 06:36 तक तत्पश्चात शिव*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 02:05 से शाम 03:49 तक*
🌤️ *सूर्योदय – 05:20*
🌤️ *सूर्यास्त – 07:22*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण –
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *चातुर्मास्य व्रत की महिमा* 🌷
➡ *06 जुलाई 2025 रविवार से चातुर्मास प्रारंभ।*
👉🏻 *गताअंक से आगे….*
🙏🏻 *चतुर्मास में ताँबे के पात्र में भोजन विशेष रूप से त्याज्य है। काँसे के बर्तनों का त्याग करके मनुष्य अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करे। अगर कोई धातुपात्रों का भी त्याग करके पलाशपत्र, मदारपत्र या वटपत्र की पत्तल में भोजन करे तो इसका अनुपम फल बताया गया है। अन्य किसी प्रकार का पात्र न मिलने पर मिट्टी का पात्र ही उत्तम है अथवा स्वयं ही पलाश के पत्ते लाकर उनकी पत्तल बनाये और उससे भोजन-पात्र का कार्य ले। पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में किया गया भोजन चन्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है।*
🙏🏻 *प्रतिदिन एक समय भोजन करने वाला पुरुष अग्निष्टोम यज्ञ के फल का भागी होता है। पंचगव्य सेवन करने वाले मनुष्य को चन्द्रायण व्रत का फल मिलता है। यदि धीर पुरुष चतुर्मास में नित्य परिमित अन्न का भोजन करता है तो उसके सब पातकों का नाश हो जाता है और वह वैकुण्ठ धाम को पाता है। चतुर्मास में केवल एक ही अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता।*
🙏🏻 *जो मनुष्य चतुर्मास में केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर रहता है, उसके सहस्रों पाप तत्काल विलीन हो जाते हैं।*
🙏🏻 *पंद्रह दिन में एक दिन संपूर्ण उपवास करने से शरीर के दोष जल जाते हैं और चौदह दिनों में तैयार हुए भोजन का रस ओज में बदल जाता है। इसलिए एकादशी के उपवास की महिमा है। वैसे तो गृहस्थ को महीने में केवल शुक्लपक्ष की एकादशी रखनी चाहिए, किंतु चतुर्मास की तो दोनों पक्षों की एकादशियाँ रखनी चाहिए।*
🙏🏻 *जो बात करते हुए भोजन करता है, उसके वार्तालाप से अन्न अशुद्ध हो जाता है। वह केवल पाप का भोजन करता है। जो मौन होकर भोजन करता है, वह कभी दुःख में नहीं पड़ता। मौन होकर भोजन करने वाले राक्षस भी स्वर्गलोक में चले गये हैं। यदि पके हुए अन्न में कीड़े-मकोड़े पड़ जायें तो वह अशुद्ध हो जाता है। यदि मानव उस अपवित्र अन्न को खा ले तो वह दोष का भागी होता है। जो नरश्रेष्ठ प्रतिदिन ‘ॐ प्राणाय स्वाहा, ॐ अपानाय स्वाहा, ॐ व्यानाय स्वाहा, ॐ उदानाय स्वाहा, ॐ समानाय स्वाहा’ – इस प्रकार प्राणवायु को पाँच आहुतियाँ देकर मौन हो भोजन करता है, उसके पाँच पातक निश्चय ही नष्ट हो जाते हैं।*
🙏🏻 *चतुर्मास में जैसे भगवान विष्णु आराधनीय हैं, वैसे ही ब्राह्मण भी। भाद्रपद मास आने पर उनकी महापूजा होती है। जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़ा होकर ‘पुरुष सूक्त’ का पाठ करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है।*
🙏🏻 *चतुर्मास सब गुणों से युक्त समय है। इसमें धर्मयुक्त श्रद्धा से शुभ कर्मों का अनुष्ठान करना चाहिए।*
🌷 *सत्संगे द्विजभक्तिश्च गुरुदेवाग्नितर्पणम्।*
*गोप्रदानं वेदपाठः सत्क्रिया सत्यभाषणम्।।*
*गोभक्तिर्दानभक्तिश्च सदा धर्मस्य साधनम्।*
🙏🏻 *‘सत्संग, भक्ति, गुरु, देवता और अग्नि का तर्पण, गोदान, वेदपाठ, सत्कर्म, सत्यभाषण, गोभक्ति और दान में प्रीति – ये सब सदा धर्म के साधन हैं।’*
🙏🏻 *देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक उक्त धर्मों का साधन एवं नियम महान फल देने वाला है। चतुर्मास में भगवान नारायण योगनिद्रा में शयन करते हैं, इसलिए चार मास शादी-विवाह और सकाम यज्ञ नहीं होते। ये मास तपस्या करने के हैं।*
🙏🏻 *चतुर्मास में योगाभ्यास करने वाला मनुष्य ब्रह्मपद को प्राप्त होता है। ‘नमो नारायणाय’ का जप करने से सौ गुने फल की प्राप्ति होती है। यदि मनुष्य चतुर्मास में भक्तिपूर्वक योग के अभ्यास में तत्पर न हुआ तो निःसंदेह उसके हाथ से अमृत का कलश गिर गया। जो मनुष्य नियम, व्रत अथवा जप के बिना चौमासा बिताता है वह मूर्ख है।*
🙏🏻 *बुद्धिमान मनुष्य को सदैव मन को संयम में रखने का प्रयत्न करना चाहिए। मन के भलीभाँति वश में होने से ही पूर्णतः ज्ञान की प्राप्ति होती है।*
🌷 *सत्यमेकं परो धर्मः सत्यमेकं परं तपः।*
*सत्यमेकं परं ज्ञानं सत्ये धर्मः प्रतिष्ठितः।।*
*धर्ममूलमहिंसा च मनसा तां च चिन्तयन्।*
*कर्मणा च तथा वाचा तत एतां समाचरेत्।।*
🙏🏻 *‘एकमात्र सत्य ही परम धर्म है। एक सत्य ही परम तप है। केवल सत्य ही परम ज्ञान है और सत्य में ही धर्म की प्रतिष्ठा है। अहिंसा धर्म का मूल है। इसलिए उस अहिंसा को मन, वाणी और क्रिया के द्वारा आचरण में लाना चाहिए।’*
🌷 *(स्कं. पु. ब्रा. 2.18-19)* 🌷
➡ *शेष कल……..*
🌷 *(पद्म पुराण के उत्तर खंड, स्कंद पुराण के ब्राह्म खंड एवं नागर खंड उत्तरार्ध से संकलित)*
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जुलाई पंचक 2025 तिथि
पंचक आरंभ: जुलाई 13, 2025, रविवार को शाम 06:53 बजे
पंचक अंत: जुलाई 18, 2025, शुक्रवार को तड़के सुबह 03:39 बजे
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
एकादशी
आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि प्रारम्भ – 5 जुलाई 2025, को शाम 06:58 बजे
व्रत आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त – 6 जुलाई 2025, को रात 09:14 बजे
एकादशी
20 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। व्रत 21 जुलाई को कामिका एकादशी
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