पहाड़ का सच, देहरादून।
राजधानी में विद्युत लाइनों के भूमिगतिकरण कार्यों ने पकड़ी गति पकड़ ली है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्णायक नेतृत्व एवं सचिव ऊर्जा के सहयोग तथा सकारात्मक दृष्टिकोण के फलस्वरूप यूपीसीएल उत्तराखण्ड राज्य को ‘ऊर्जा प्रदेश’ बनाने हेतु प्रयासरत है।
विद्युत वितरण तंत्र को और अधिक सुदृढ़ एवं समृद्ध बनाने के लिये यूपीसीएल द्वारा ए०डी०बी० परियोजना के अन्तर्गत देहरादून शहर के मुख्य मार्गों की उपरिगामी विद्युत लाईनों को भूमिगत किये जाने के कार्य को शीघ्रता से पूर्ण किया जा रहा है। योजना के अन्तर्गत देहरादून शहर में 33 केवी की लगभग कुल 92 किमी, 11 केवी की लगभग कुल 230 किमी तथा एल०टी० की लगभग कुल 608 किमी लाइनों को भूमिगत किया जा रहा है जिस हेतु शहर को तीन लॉट में बांटा गया है।
वर्तमान में सभी लॉट के क्षेत्रीय दलों द्वारा सर्वे एवं संयुक्त सर्वे का कार्य पूर्ण करने के पश्चात् रोड कटिंग की अनुमति प्राप्त कर लाईनों के भूमिगतिकरण का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है। देहरादून शहर में लाइनों के भूमिगतिकरण हेतु चिन्हित मुख्य मार्गों का विवरण निम्नवत् है। इनमें दिलाराम चौक से मसूरी डायवर्जन, सर्वे चौक से सहस्त्रधारा क्रासिंग, दर्शनलाल चौक से प्रिंस चौक और दून अस्पताल, किशननगर चौक से रमाडा होटल, आराघर चौक से फाउनटेन चौक से रिस्पना पुल, आराघर चौक से धर्मपुर से रिस्पना पुल इत्यादि सम्मिलित हैं।
इसी क्रम में रमाडा होटल से बल्लुपुर चौक, बल्लुपुर चौक से ट्रांसपोर्ट नगर चौक, लक्खीबाग से ग्राफिक एरा चौक, कमला पैलेस से निरंजनपुर चौक, शिमला बाईपास से सैंट जूड चौक इत्यादि सम्मिलित हैं। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र से रिस्पना पुल से मौहकमपुर फ्लाईओवर, लाडपुर से 06 नं० पुलिया से जोगिवाला, फाउनटेन चौक से 06 नं० पुलिया से डोभाल चौक, डील से लाडपुर, मयुर विहार से आई०टी० पार्क, आई०टी० पार्क से कृषालि चौक इत्यादि सम्मिलित हैं।
उपर्युक्त मुख्य मार्गों में आपातकालीन स्थानों जैसे कोरोनेशन अस्पताल, दून अस्पताल, महंत इन्द्रेश अस्पताल, आई०एम०ए० ब्लड बैंक तथा कैलाश अस्पताल इत्यादि स्थानों के पास भी भूमिगतिकरण का कार्य किया जा रहा है। शहर के मुख्य मार्गों की उपरिगामी विद्युत लाईनों को भूमिगत किये जाने से भूमिगत केबल्स पर्यावरणीय कारकों जैसे हवा तेज़ बारिश और पेड़ों की शाखाओं से कम प्रभावित होते हैं। जिससे आउटेज कम होते हैं और रखरखाव की लागत कम होती है।
भूमिगत केबल्स को बेहतर इन्सुलेशन और कम प्रतिरोध के साथ डिज़ाइन किया जा सकता है जिससे ओवरहेड लाइनों की तुलना में ऊर्जा हानियों को कम किया जा सकता है। भूमिगत केबल्स के साथ बिजली के खतरों जैसे इलेक्ट्रोक्यूशन और गिरी हुई पावर लाइनों से होने वाली आग का जोखिम काफी कम हो जाता है। पावर लाइनों के भूमिगतिकरण होने से आवासीय और शहरी क्षेत्रों में अधिक सौंदर्यपूर्ण वातावरण बनता है।
भूमिगत केबल्स होने से बिजली चोरी की समस्याओं पर अंकुश लगेगा।दुर्घटनाओं का कम जोखिम वाहनों वन्यजीवों या निर्माण गतिविधियों द्वारा बिजली लाइनों के आकस्मिक संपर्क का जोखिम कम हो जाता है। बिजली लाइनों के भूमिगतिकरण होने से पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाया जाता है क्योंकि उन्हें ओवरहेड लाइनों के लिए आवश्यक पेड़ों की नियमित छंटाई और अन्य वनस्पति प्रबंधन की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रबन्ध निदेशक अनिल कुमार द्वारा सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि भूमिगतिकरण के कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण करें तथा सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता पर रखते हुये हर दिन कार्य पूर्ण होने के पश्चात् गडढ़ों, नाली आदि स्थानों की नियमित भराई करना भी सुनिश्चित करेंगे। योजना के सफल क्रियान्वयन होने से देहरादून शहर का विद्युत वितरण तंत्र यूरोपियन तथा विकसित देशों जैसा मजबूत एवं सुदृढ़ होगा।