– पलायन निवारण आयोग की द्वितीय सर्वेक्षण रिपोर्ट फरवरी 2023
– ग्रामीण युवाओं का स्वरोजगार की दिशा में बढ़ा है रुझान: एस एस नेगी
,,- कृषि व औद्यानिकी विवि के सहयोग से बनेंगे कलस्टर, युवाओं को देंगे प्रशिक्षण
हरीश जोशी,पहाड़ का सच
उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में सरकार के प्रयास सार्थक दिखाई देने लगे हैं। ग्राम्य विकास एवम पलायन निवारण आयोग की ग्राम पंचायतों के पलायन पर अपनी द्वितीय अंतरिम रिपोर्ट फरवरी 2023 इस बात की तस्दीक करती है कि गांवों से हो रहे स्थाई पलायन में कमी आई है, जबकि अस्थायी पलायन पहले जैसा ही है।
अच्छी शिक्षा के लिए कालांतर में उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से शुरू हुए युवाओं के पलायन ने रोजगार को भी अपने साथ जोड़ दिया। पहाड़ से युवाओं के पलायन से खेती और पशुपालन जैसे परंपरागत व्यवसाय लगभग समाप्त हो गए । पिछले सात साल में पलायन आयोग ने राज्य के सभी जनपदों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। आयोग की ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि रोजगार की तलाश में राज्य के बाहर जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है, जबकि राज्य के भीतर एक जिले से दूसरे जिले में परस्पर पलायन बना हुआ है। गांवों से कस्बों की ओर लोगों की बेतहाशा आमद से अनियोजित शहरीकरण भी हुआ है। लोगों का स्वरोजगार के प्रति रुझान बढ़ा है, जबकि कृषि, बागवानी, पशुपालन अब रोजगार के मुख्य साधन बने हुए हैं।
*खेती व बागवानी पर फोकस*
आयोग की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि ग्रामीणों की आय का मुख्य साधन कृषि, बागवानी और पशुपालन है। सर्वे के अनुसार 45 फीसद लोग इन क्षेत्रों से जुड़े हैं। रोजगार का दूसरा जरिया मनरेगा योजना हैं। गांवों में मनरेगा से 22 फीसद लोग इस योजना से जुड़े हैं। सरकारी नौकरियों में मात्र 8 फीसद लोग जुड़े हैं, जबकि 9 फीसद लोग स्वरोजगार व अन्य साधनों से घर चला रहे हैं। 16 फीसद ग्रामीण मजदूरी कर आजीविका चला रहे हैं।
ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने द्वितीय राज्य स्तरीय पलायन सर्वेक्षण अंतरिम रिपोर्ट (वर्ष 2018 से 2022) सरकार को सौंप दी है। आम जनता के लिए इसे आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है। इससे पहले आयोग की ओर से वर्ष 2011 से वर्ष 2018 के मध्य राज्य में पलायन की स्थिति पर सरकार को प्रथम रिपोर्ट सौंपी गई थी। पलायन के लिहाज से पहली रिपोर्ट के आधार पर तुलनात्मक स्थिति इस बार बेहतर है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 से सितंबर 2022 तक राज्य के 92 विकासखंडों की 6,436 ग्राम पंचायतों से कुल 3,07,310 लोगों ने अस्थायी पलायन किया है। जबकि 77 ब्लॉकों के 2,067 गांवों से कुल 28,631 लोगों ने स्थायी पलायन किया है।
आयोग के उपाध्यक्ष एस एस नेगी ने पहाड़ का सच” से एक मुलाकात में बताया कि 2011-18 के मुकाबले वर्ष 2018-22 की रिपोर्ट के तुलनात्मक अध्ययन में राज्य में पलायन में गिरावट देखी गई है। ग्रामीण युवाओं का स्वरोजगार की दिशा में रुझान बढ़ा है। खेती और बागवानी के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ाने के लिए हाल्टिकल्चर यूनिवर्सिटी भरसार व पंत नगर कृषि यूनिवर्सिटी से वार्तालाप किया जा रहा है कि आसपास के कई गांवों का कलस्टर तैयार कर युवाओं को ट्रेनिंग दी जाए