
पहाड़ की लोक विरासत का संवाहक डॉक्टर के पी जोशी

पहाड़ का सच देहरादून। उत्तराखण्ड लोक विरासत का दो दिवसीय आयोजन 29 नवंबर को देहरादून में आयोजित किया जाएगा। दून में होने वाली ये पांचवीं लोक विरासत होगी।
हरिद्वार बाईपास स्थित सोशल बलूनी स्कूल में पंचम उत्तराखंड लोक विरासत के आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए विरासत के आयोजक और चारधाम अस्पताल के निदेशक डॉ. के पी जोशी ने बताया कि प्रदेश के कलाकारों को मंच देने के लिए हर साल उत्तराखंड लोक विरासत का आयोजन किया जा रहा है।
नृत्य कलाकारों, उत्तराखण्ड के गायकों, हस्तशिल्पकारों, मस्कबीन, ढोल दमाऊ व विलुप्त होते हमारे वाद्य यंत्रों को राजधानी में मंच देने का प्रयास किया जाता रहा है। इसी मकसद से एक बार फिर आगामी 29 और 30 नवंबर को उत्तराखंड लोक विरासत का आयोजन किया जाना है। इस बार भी राज्य की छिपी प्रतिभा को राजधानी में मंच देना है। इसके लिए महीनों तक कलाकारों का चयन किया गया।
उन्होंने बताया कि मस्कबीन, महासू देवता संगत, प्रेम हिंदवाल ग्रुप, भोटिया जाति, पौनबगडवाल मुखोटा नृत्य, थाड्या, चौफला, बाजूबंद, खुदेड, रम्माण, पाण्डव नृत्य, डॉर, बुड़देवा, हुड़का थाली वादन आदि की प्रस्तुति होनी है। इसके साथ ही उत्तराखण्डी परिधान लारा लत्ता, गैणा पत्ता का प्रदर्शन भी किया जाना है।
डॉ केपी जोशी ने बताया कि उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायकार नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, मीना राणा, संगीता ढोडियाल आदि अपनी प्रस्तुति करेंगे। कहा कि उत्तराखण्ड लोक विरासत संस्था संस्कृति के बचाव और प्रसार का कार्य करती है। गरीब सामाजिक रूप से कलाकारों को हर प्रकार की सहायता प्रदान करती है। .इस मौके पर उद्योग विभाग के पूर्व निदेशक सुधीर नौटियाल ने कहा कि उत्तराखंड लोक विरासत का मकसद ये है कि राज्य के कलाकारों को एक बढ़िया मंच मिल सके और उसके बाद उन्हें रोजगार से जोड़ा जा सके।
.कार्यक्रम का उद्देश्य
प्रतिभा मान एवं आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को राजधानी में मंच देना, नई पीढ़ी को राज्य की संस्कृति के बारे में बताना, कलाकारों का चयन कर उन्हें राज्य स्तर पर मौका देना, रोजगार सृजित करना, कलाविदों को प्रत्येक गांव में एक निश्चित धनराशि सरकार से तय कराना।
