ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 17 सितम्बर 2024*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌥️ अमांत – 2 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 27 भाद्रपद मास*
*⛅मास – भाद्रपद*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – चतुर्दशी प्रातः 11:44 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*⛅नक्षत्र – शतभिषा दोपहर 01:53 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग – धृति प्रातः 07:48 तक तत्पश्चात शूल प्रातः 03:41 सितम्बर 18, तत्पश्चात गंड*
*⛅राहु काल – दोपहर 03:13 से शाम 04:44 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:03*
*⛅सूर्यास्त – 06:20*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:53 से 05:40 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:09 से दोपहर 12:58 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:10 सितम्बर 18 से रात्रि 12:58 सितम्बर 18 तक*
*व्रत पर्व विवरण – गणेश विसर्जन, अनंत चतुर्दशी, महालय श्राद्ध आरम्भ*
*⛅विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹महालय श्राद्ध आरम्भ – 17 सितम्बर🌹*
*🔹श्राद्ध में रखें ये सावधानियाँ🔹*
*🔸पितरों को खिलाये बिना नहीं खायें । पराया अन्न भी नहीं खाना चाहिए ।*
*🔸श्राद्धकर्ता श्राद्ध पक्ष में पान खाना, तेल-मालिश, स्त्री-सम्भोग, संग्रह आदि न करें ।*
*🔸श्राद्ध का भोक्ता दुबारा भोजन तथा यात्रा आदि न करें । श्राद्ध खाने के बाद परिश्रम और प्रतिग्रह से बचें ।*
*🔸श्राद्ध करनेवाला व्यक्ति ३ से ज्यादा ब्राह्मणों तथा ज्यादा रिश्तेदारों को न बुलायें ।*
*🔸श्राद्ध के दिनों में ब्रह्मचर्य व सत्य का पालन करें और ब्राह्मण भी ब्रह्मचर्य का पालन करके श्राद्ध ग्रहण करने आये ।*
*🔹श्राद्ध में उत्तम क्या ?🔹*
*🔸तीन चीजें श्राद्ध में प्रशंसनीय हैं :*
*(१)शुद्धि*
*(२) अक्रोध*
*(३) अत्वरितता : जल्दबाजी नहीं, धैर्य ।*
*🔸तीन चीजें श्राद्ध में पवित्र होती हैं :*
*(१) तिल*
*(२) बेटी का बेटा दौहित्र*
*(३) कुतपकाल*
*🔸 सुबह 11:36 से लेकर 12:24 तक विशेषकाल माना जाता है । थोड़ा आगे-पीछे हो जाय तो कोई बात नहीं लेकिन इस काल में श्राद्ध की विशेष पवित्रता होती है ।*
*🔸श्राद्धकाल में सात विशेष शुद्धियों का ध्यान रखना चाहिए :*
*(1) नहा-धोकर शरीर शुद्ध हो ।*
*(2) श्राद्ध की द्रव्य-वस्तु शुद्ध हो ।*
*(3) स्त्री शुद्ध हो, मासिक धर्म में न हो ।*
*(4) जहाँ श्राद्ध करते हैं वह भूमि शुद्ध हो । गोझरण से, देशी गाय के गोबर से लीपन की हुई हो ।*
*(5) मंत्र का शुद्ध उच्चारण करें ।*
*(6) ब्राह्मण भी शुद्ध भाववाला हो और तम्बाकू, जर्दा आदि का सेवन न करता हो ।*
*(7) मन को भी शुद्ध रखें ।*
*🔹श्राद्धयोग्य तिथियाँ (भाग-१)🔹*
*🔹ऊँचे में ऊँचा, सबसे बढ़िया श्राद्ध श्राद्धपक्ष की तिथियों में होता है । हमारे पूर्वज जिस तिथि में इस संसार से गये हैं, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ होता है ।*
*🔸जिनके दिवंगत होने की तिथि याद न हो, उनके श्राद्ध के लिए अमावस्या की तिथि उपयुक्त मानी गयी है । बाकी तो जिनकी जो तिथि हो, श्राद्धपक्ष में उसी तिथि पर बुद्धिमानों को श्राद्ध करना चाहिए ।*
*🔸जो पूर्णमासी के दिन श्राद्धादि करता है उसकी बुद्धि, पुष्टि, स्मरणशक्ति, धारणाशक्ति, पुत्र-पौत्रादि एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती। वह पर्व का पूर्ण फल भोगता है ।*
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