ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 08 दिसम्बर 2024*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*🌥️ अमांत – 23 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 16 मार्गशीर्ष मास*
*⛅मास – मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – सप्तमी प्रातः 09:44 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र – शतभिषा शाम 04:03 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅योग – वज्र प्रातः 03:54 दिसम्बर 09 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅राहु काल – शाम 03:57 से शाम 05:13 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:01*
*⛅सूर्यास्त – 05:17*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:23 से प्रातः 06:16 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:10 से दोपहर 12:53 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:06 दिसम्बर 09 से रात्रि 12:59 दिसम्बर 09 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – भानु सप्तमी (सूर्योदय से प्रातः 09:44 तक), मासिक दुर्गाष्टमी*
*⛅विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते हैं और शरीर का नाश होता है व अष्टमी को नारियल फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹रविवार विशेष🔹*
*🔹रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔹रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔹रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔹रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔹स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्ष करना निषेध है ।*
*🔹रविवार के दिन तुलसी पत्त्ता तोड़ना वर्जित है ।*
*🔹कोई आपको शत्रु मान के परेशान करता हो तो …*
*🔹कोई आपको शत्रु मान के परेशान करता हो तो प्रतिदिन प्रात:काल पीपल के नीचे वृक्ष के दक्षिण की ओर अरंडी के तेल का दीपक जलायें तथा थोड़ी देर गुरुमंत्र या भगवन्नाम जपें और उस व्यक्ति को भगवान सद्बुद्धि दें तथा मेरा, उसका-सबका मंगल हो ऐसी प्रार्थना करें । कुछ दिनों तक ऐसा करने से शत्रु शनै: शनै : दब जाते हैं व शत्रु पीड़ा धीरे-धीरे दूर हो जाती है ।*