
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 26 मई 2023*
*⛅दिन – शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅शक संवत् – 1945*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – ग्रीष्म*
*🌤️ अमांत – 11 गते जयेष्ठ मास प्रविष्टि*
*🌤️ राष्ट्रीय तिथि – 5 ज्येष्ठ मास*
*⛅मास – ज्येष्ठ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – सप्तमी (वृद्धि तिथि) पूर्ण रात्रि तक*
*⛅नक्षत्र – अश्लेषा रात्रि 08:50 तक तत्पश्चात मघा*
*⛅योग – ध्रुव शाम 07:04 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल – सुबह 10:31 से 12:14 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:19*
*⛅सूर्यास्त – 07:10*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:30 से 05:13 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:15 से 12:58 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष -सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔸तिलक का महत्त्व🔸*
*🔹ललाट पर दोनों भौंहों के बीच विचारशक्ति का केन्द्र है । योगी इसे आज्ञाचक्र कहते हैं । इसे शिवनेत्र अर्थात् कल्याणकारी विचारों का केन्द्र कहा जाता है ।*
*🔹दोनों भौहों के बीच ललाट पर चंदन या सिंदूर आदि का तिलक आज्ञाचक्र और उसके नजदीक की पीनियल और पीयूष ग्रंथियों को पोषण देता है । यह बुद्धिबल व सत्त्वबलवर्धक है तथा विचारशक्ति को भी विकसित करता है । अतः तिलक लगाना आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक, दोनों दृष्टिकोणों से बहुत लाभदायक है । इसलिए हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करते समय ललाट पर तिलक लगाते हैं ।*
*🔹अधिकांश स्त्रियों का मन स्वाधिष्ठान और मणिपुर केन्द्र में ही रहता है । इन केन्द्रों में भय, भाव और कल्पना की अधिकता होती है । वे भावनाओं और कल्पनाओं में न बह जायें, उनका शिवनेत्र, विचारशक्ति का केन्द्र विकसित हो, इस उद्देश्य से ऋषियों ने स्त्रियों के लिए तिलक लगाने का विधान रखा है ।*
*🔹चंदन, सिंदूर के तिलक से जो फायदा होता है, वह आजकल की केमिकल युक्त बिंदियों से नहीं होता ।*
*🔸ललाट पर प्लास्टिक की बिंदी चिपकाना हानिकारक है, इसे दूर से ही त्याग दें ।*
*🔹तुलसी या पीपल की जड़ की मिट्टी अथवा गाय के खुर की मिट्टी पुण्यदायी, कार्यसाफल्यदायी व सात्त्विक होती है। उसका या हल्दी या चंदन का अथवा हल्दी-चंदन के मिश्रण का तिलक हितकारी है ।*
*🔹भाइयों को भी तिलक करना चाहिए । इससे आज्ञाचक्र (जिसे वैज्ञानिक पीनियल ग्रंथि कहते हैं) का विकास होता है और निर्णयशक्ति बढ़ती है ।*
*🔹गर्मी में विशेष लाभकारी – पुदीना🔹*
*🔹पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध है। यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, हृदय – उत्तेजक, विकृत कफ को बाहर लानेवाला, गर्भाशय व चित्त को प्रसन्न करनेवाला है । पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता है । यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी है। श्वास, मूत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त है ।*
*🔹औषधि-प्रयोग🔹*
*🔸पेट के रोग : अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है ।*
*🔸मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता है । अधिक मासिक स्राव में यह प्रयोग न करें ।*
*🔸गर्मियों में : गर्मी के कारण व्याकुलता बढ़ने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती है ।*
*🔸पाचक चटनी : ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा- इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर खाने से रुचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती है । पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी है ।*
*🔸उलटी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है ।*
*🔸सिरदर्द : पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पियें ।*
*🔸ज्वर आदि गर्मी में जुकाम, खाँसी व ज्वर होने पर पुदीना के पीने से लाभ होता है ।*
*🔸 नकसीर : नाक में पुदीने के रस की ३ बूँद डालने से रक्तस्राव बंद हो जाता है ।*
*🔸 मूत्र- अवरोध पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर १ गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पियें ।*
*🔸गर्मी की फुंसियाँ : समान मात्रा में सूखा पुदीना एवं मिश्री पीसकर रख लें । रोज प्रातः आधा गिलास पानी में ४ चम्मच मिलाकर पियें ।*
*🔹हिचकी : पुदीने या नींबू के रस सेवन से राहत मिलती है ।*
*🔸मात्रा : रस ५ से २० मि.ली. । अर्क – १० से २० मि.ली. (उपरोक्त प्रयोगों पुदीना रस की जगह अर्क का भी उपयोग किया जा सकता है) । पत्तों का चूर्ण – २ से ४ ग्राम (चूर्ण बनाने के लिए पत्तों को छाया में सुखाना चाहिए)।*
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