
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

*?~ वैदिक पंचांग ~?*
*⛅दिनांक – 10 नवम्बर 2024*
*⛅दिन – रविवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*?️ अमांत – 25 गते कार्तिक मास प्रविष्टि*
*?️ राष्ट्रीय तिथि – 18 कार्तिक मास*
*⛅मास – कार्तिक*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – नवमी रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र – धनिष्ठा प्रातः 10:59 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅योग – ध्रुव रात्रि 01:42 नवम्बर 11 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल – शाम 04:00 से शाम 05:19 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:38*
*⛅सूर्यास्त – 05:24*
*⛅दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:07 से 05:59 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:58 नवम्बर 10 से रात्रि 12:50 नवम्बर 11 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – अक्षय नवमी, आँवला नवमी, जगद्धात्री पूजा, साईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस*
*⛅विशेष – नवमी को लौकी खाना गौमाँस के सामान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*?आँवला नवमी विशेष?*
*? हमारे पूजनीय वृक्ष – आँवला ?*
*? आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।*
*? जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।*
*? मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)*
*?प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*?आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।*
*?आँवला के औषधीय प्रयोग ?*
*?१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।*
*?२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।*
*?३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।*
*?४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।*
*?५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।*
*?६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।*
*?सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.*
*?ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है
