ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 25 सितम्बर 2024*
*⛅दिन – बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 10 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 4आश्विन मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – अष्टमी दोपहर 12:10 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 10:23 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग – वरीयान रात्रि 12:18 सितम्बर 26 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅राहु काल – दोपहर 12:08 से दोपहर 01:38 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:07*
*⛅सूर्यास्त – 06:10*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:42 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 सितम्बर 26 से रात्रि 12:55 सितम्बर 26 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से दोपहर 12:10 तक), अष्टमी का श्राद्ध, जीवित्पुत्रिका व्रत*
*⛅विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। इस दिन स्त्री-सहवास और तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹तुलसी द्वारा सद्गति🔹*
*🔸जिसकी मृत्यु के समय श्रीहरि का कीर्तन और स्मरण हो तथा तुलसी की लकड़ी से जिसके शरीर का दाह किया जाय, उसका पुनर्जन्म नहीं होता । जो चोटी में तुलसी स्थापित करके प्राणों का परित्याग करता है, वह पापराशि से मुक्त हो जाता है । जो मृत पुरुष के सम्पूर्ण अंगों में तुलसी का काष्ठ देने के बाद उसका दाह-संस्कार करता है, वह भी पाप से मुक्त हो जाता है । (पद्म पुराण)*
*🔸मुख में, पेट एवं सिर पर यथायोग्य तुलसी – लकड़ी का उपयोग करें ।*
*🔸अग्निसंस्कार में तुलसी की लकड़ी का प्रयोग करने से मृतक की सदगति सुनिश्चित है ।*
*🔹कब्ज से राहत देनेवाली अनमोल कुंजियाँ🔹*
*🔸प्रात: पेट साफ नहीं होता हो तो गुनगुना पानी पी के खड़े हो जायें और ठुड्डी को गले के बीचवाले खड्डे में दबायें व हाथ ऊपर करके शरीर को खींचे । पंजों के बल कूदें । फिर सीधे लेट जायें, श्वास बाहर छोड़ दें व रोके रखें और गुदाद्वार को ३० – ३२ बार अंदर खींचे, ढीला छोड़े, फिर श्वास लें । इसको स्थलबस्ती बोलते हैं । ऐसा तीन बार करोगे तो लगभग सौ बार गुदा का संकुचन-प्रसरण हो जायेगा । इससे अपने-आप पेट साफ होगा । और कब्ज के कारण होनेवाली असंख्य बीमारियों में से कोई भी बीमारी छुपी होगी तो वह बाहर हो जायेगी ।*
*🔸सैकड़ों पाचन-संबंधी रोगों को मिटाना हो तो सुबह ५ से ७ बजे के बीच सूर्योदय से पहले-पहले पेट साफ हो जाय… नहीं तो सूर्य की पहली किरणें शरीर पर लगें; सूर्यस्नान करने से भी पेट साफ होने में मदद मिलती है ।*
*🔸कई लोग जैसे कुर्सी पर बैठा जाता है, ऐसे ही कमोड ( पाश्च्यात्य पद्धति का शौचालय ) पर बैठकर पेट साफ करते हैं । उनका पेट साफ नहीं होता, इससे नुक्सान होता है । शौचालय सादा अर्थात जमीन पर पायदानवाला होना चाहिए । शौच के समय आँतों पर दबाव पड़ना चाहिए, तभी पेट अच्छी तरह से साफ होगा । पहले शरीर का वजन बायें पैर पर पड़े फिर दायें पैर पर पड़े । इस प्रकार दोनों पैरों पर दबाव पड़ने से उसका छोटी व बड़ी – दोनों आँतों पर प्रभाव होता है, जिससे पेट साफ होने में मदद मिलती है । तो पैरों पर वजन हो इसी ढंग से शौचालय में बैठे । दायाँ स्वर चलते समय मल-त्याग करने से एवं बायाँ स्वर चलते समय मूत्र-त्याग करने से स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है ।*
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