ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 5 सितम्बर 2024*
*⛅दिन – गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*🌦️ अमांत – 21 गते भाद्रपद मास प्रविष्टि*
*🌦️ राष्ट्रीय तिथि – 14 श्रावण मास*
*⛅मास – भाद्रपद*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – द्वितीया दोपहर 12:21 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र – हस्त पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग – शुभ रात्रि 09:08 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल – दोपहर 01:49 से दोपहर 03:23 तक*
*⛅सूर्योदय – 05:57*
*⛅सूर्यास्त – 06:35*
*⛅दिशा शूल – दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:51 से प्रातः 05:37 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:13 से 01:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:15 सितम्बर 06 से रात्रि 01:01 सितम्बर 06 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 06:14 से प्रातः 06:23 तक), सामवेद उपकर्म, शिक्षक दिवस*
*⛅विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध व तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है |(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ?*🔹
*🔸बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो खास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि: शोकेन नश्यति । भूतकाल कि बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नही हुआ…’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न, उनकी बुद्धि का नाश होता है । और ‘मैं ऐसा करके ऐसा बनूंगा, ऐसा बनूंगा…’ यह चिंतन बुद्धि-नाश तो नहीं करता लेकिन बुद्धि को भ्रमित कर देता है । और ‘मैं कौन हूँ ? सुख-दुःख को देखनेवाला कौन ? बचपन बीत गया फिर भी जो नहीं बीता वह कौन ? जवानी बदल रही है, सुख-दुःख बदल रहा है, सब बदल रहा है, इसको जाननेवाला मैं कौन हूँ ? प्रभु ! मुझे बताओ…’ इस प्रकार का चिंतन, थोड़ा अपने को खोजना, भगवान के नाम का जप और शास्त्र का पठन करना – इससे बुद्धि ऐसी बढ़ेगी, ऐसी बढ़ेगी कि दुनिया का प्रसिद्द बुद्धिमान भी उसके चरणों में सिर झुकायेगा ।*
*🔹बुद्धि बढ़ाने के ४ तरीके🔹*
*१] शास्त्र का पठन*
*२] भगवन्नाम-जप, भगवद-ध्यान*
*३] आश्रम आदि पवित्र स्थानों में जाना*
*४] ब्रह्मवेत्ता महापुरुष का सत्संग-सान्निध्य*
*🔹जप करने से, ध्यान करने से बुद्धि का विकास होता है । जरा – जरा बात में दु:खी काहे को होना ? जरा – जरा बात में प्रभावित काहे को होना ? ‘यह मिल गया, वह मिल गया…’ मिल गया तो क्या है !*
*🔹ज्यादा सुखी – दु:खी होना यह कम बुद्धिवाले का काम है । जैसे बच्चे की कम बुद्धि होती है तो जरा- से चॉकलेट में, जरा-सी चीज में खुश हो जाता है, और जरा-सी चीज हटी तो दु:खी हो जाता है । वही जब बड़ा होता है तो चार आने का चॉकलेट आया तो क्या, गया तो क्या ! ऐसे ही संसार की जरा-जरा सुविधा में जो अपने को भाग्यशाली मानता है उसकी बुद्धि का विकास नहीं होता और जो जरा-से नुकसान में आपने को अभागा मानता है उसकी बुद्धि मारी जाती है । अरे ! यह सब सपना है, आता-जाता है । जो रहता है, उस नित्य तत्त्व में जो टिके उसकी बुद्धि तो गजब की विकसित होती है ! सुख-दुःख में, लाभ-हानि में, मान-अपमान में सम रहना तो बुद्धि परमात्मा में स्थित रहेगी और स्थित बुद्धि ही महान हो जायेगी ।*