ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 23 नवम्बर 2024*
*⛅दिन – शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – हेमन्त*
*🌥️ अमांत – 7 गते मार्गशीर्ष मास प्रविष्टि*
*🌥️ राष्ट्रीय तिथि – 2 मार्गशीर्ष मास*
*⛅मास – मार्गशीर्ष*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – अष्टमी शाम 07:56 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र – मघा शाम 07:27 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*⛅योग – इन्द्र सुबह 11:42 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅राहु काल – सुबह 09:28से सुबह 10:46 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:49*
*⛅सूर्यास्त – 05:18*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:14 से 06:06 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:04 से दोपहर 12:48 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:00 नवम्बर 23 से रात्रि 12:52 नवम्बर 24 तक*
*⛅विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है | (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹आयुर्वेद में वर्णित सद्वृत*🔹
*🔹आयुर्वेदीय ग्रंथ चरक संहिता में आचार्य चरकजी बताते हैं : “जो व्यक्ति स्वस्थवृत ( सद्वृत्ति आदि ) का विधिपूर्वक पालन करता है, वह १०० वर्ष की रोगरहित आयु से पृथक नहीं होता तथा सज्जन एवं साधुपुरुषों द्वारा प्रशंसित होकर इस लोक में अपना यश फैला के धर्म-अर्थ को प्राप्त कर, प्राणिमात्र का हित करने से कारण सबका बंधु बन जाता है । इस प्रकार वह पुण्यकार्य करनेवाला पुरुष मरणोपरांत भी उत्तम गति को प्राप्त करता है । इसलिए सभी मनुष्यों को सर्वदा सद्वृत का पालन करना चाहिए ।”*
*🔹क्या करें🔹*
*🔸 १] निश्चित, निर्भीक, लज्जायुक्त, बुद्धिमान, उत्साही, दक्ष, क्षमावान, धार्मिक और आस्तिक बनें ।*
*🔸 २] सभी प्राणियों के साथ बंधुवत व्यवहार करें ।*
*🔸 ३] सत्यप्रतिज्ञ, शान्ति को प्रधानता देनेवाला एवं दुसरे के कठोर वचनों को सहनेवाला बनें ।*
*🔸 ४] भयभीत व्यक्तियों को आश्वासन व दीन-दु:खी को सहायता देनवाले हों ।*
*🔸 ५] अमर्ष (असहिष्णुता, क्रोध ) का नाशक, शांतिमान और राग-द्वेष उत्पन्न करनेवाले कारणों का नाश करनेवाला होना चाहिए ।*
*🔸 ६] गंदे कपड़े, अपवित्र केश का त्याग करनेवाला होना चाहिए ।*
*🔸 ७] सिर व पैर में प्रतिदिन तेल लगायें ।*
*🔹क्या न करें🔹*
*🔸 १] अधार्मिक, पागल, पतित, भ्रूणहत्यारे और क्षुद्र तथा दुष्ट व्यक्तियों के साथ न बैठें ।*
*🔸 २] पापी के साथ भी पाप का व्यवहार न करें ।*
*🔸 ३] दूसरे की गुप्त बातें जानने की चेष्टा न करें ।*
*🔸 ४] चैत्य ( मंदिर आदि ), झंडा, गुरु तथा आदरणीय, प्रशस्त कल्याणकारी वस्तुओं की छाया को न लाँघें ।*
*🔸 ५] अधिक चमक या तेज से युक्त पदार्थ, जैसे – सूर्य, अग्नि आदि को तथा अप्रिय, अपवित्र और निंदित वस्तुओं को न देखें ।*
*🔸 ६] बिना शरीर की थकावट दूर किये, बिना मुख धोये एवं नग्न होकर स्नान न करें ।*
*🔸 ७] स्नान के बाद खोले हुए वस्त्रों को पुन: न पहनें ।*
*🔸 ८] जिस कपड़े को पहनकर स्नान किया गया हो उसी कपड़े से सिर का स्पर्श न करें ।*