ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक -25 अप्रैल 2024*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार – 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
🌤️ *अमांत – 11 गते वैशाख मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 5 चैत्र मास*
🌤️ *मास – वैशाख (गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार चैत्र)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – प्रतिपदा सुबह 06:45 तक तत्पश्चात द्वितीया*
🌤️ *नक्षत्र – विशाखा 26 अप्रैल रात्रि 02:24 तक तत्पश्चात अनुराधा*
🌤️ *योग – व्यतीपात 26 अप्रैल प्रातः 04:54 तक तत्पश्चात वरीयान*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:53 से शाम 03:31 तक*
🌞 *सूर्योदय- 05:40*
🌤️ *सूर्यास्त- 19:51*
👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – व्यतीपात योग,(प्रातः 05:06 से 26 अप्रैल प्रातः 04:54 तक*
💥 *विशेष – * प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~🌞
👉🏻 *वैशाख मास संपूर्ण जानकारी*⤵️
🌷 *वैशाख मास* 🌷
🙏🏻 *वैशाख हिन्दू धर्म का द्वितीय महीना है। विशाखा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा | (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार वैशाख मास प्रारंभ हो चुका है)। (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी चैत्र मास चल रहा है । वहा पर 09 मई, गुरुवार से वैशाख मास प्रारंभ होगा । वैशाख मास पुण्यकारी, श्रीविष्णु को अत्यंत प्रिय मास है |*
🙏🏻 *वैशाख मास का एक नाम माधव मास भी है | इस मास के देवता “मधुसूदन” हैं | मधु दैत्य का वध होने के कारण उन्हें मधुसूदन कहते हैं। विष्णुसहस्त्रनाम “दुःस्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम्” के अनुसार किसी भी प्रकार के संकट में श्रीविष्णु के नाम मधुसूदन का स्मरण करना चाहिए |*
🙏🏻 *स्कन्दपुराणम्, वैष्णवखण्ड के अनुसार*
*न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।*
👉🏻 *वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।*
🙏🏻 *पद्मपुराण, पातालखण्ड के अनुसार*
*यथोमा सर्वनारीणां तपतां भास्करो यथा ।आरोग्यलाभो लाभानां द्विपदां ब्राह्मणो यथा।। परोपकारः पुण्यानां विद्यानां निगमो यथा।मंत्राणां प्रणवो यद्वद्ध्यानानामात्मचिंतनम् ।।सत्यं स्वधर्मवर्तित्वं तपसां च यथा वरम्।शौचानामर्थशौचं च दानानामभयं यथा ।।गुणानां च यथा लोभक्षयो मुख्यो गुणः स्मृतः।मासानां प्रवरो मासस्तथासौ माधवो मतः ।।*
👉🏻 *जैसे सम्पूर्ण स्त्रियों में पार्वती, तपने वालों में सूर्य, लाभों में आरोग्यलाभ, मनुष्यों में ब्राह्मण, पुण्यों में परोपकार, विद्याओं में वेद, मन्त्रों में प्रणव, ध्यानों में आत्मचिंतन, तपस्याओं में सत्य और स्वधर्म-पालन, शुद्धियों में आत्मशुद्धि, दानों में अभयदान तथा गुणों में लोभ का त्याग ही सबसे प्रधान माना गया है, उसी प्रकार सब मासों में वैशाख मास अत्यंत श्रेष्ठ है |*
🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “निस्तरेदेकभक्तेन वैशाखं यो जितेन्द्रियः। नरो वा यदि वा नरी ज्ञातीनां श्रेष्ठतां व्रजेत्।।” जो स्त्री अथवा पुरूष इन्द्रिय संयम पूर्वक एक समय भोजन करके वैशाख मास को पार करता है, वह सहजातीय बन्धु-बान्धवों में श्रेष्ठता को प्राप्त होता है।।*
🙏🏻 *पद्मपुराण, पातालखण्ड के अनुसार*
*दत्तं जप्तं हुतं स्नातं यद्भक्त्या मासि माधवे।तदक्षयं भवेद्भूप पुण्यं कोटिशताधिकम् ।।*
👉🏻 *माधवमास में जो भक्तिपूर्वक दान,जप, हवन और स्नान आदि शुभकर्म किये जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है |*
*प्रातःस्नानं च वैशाखे यज्ञदानमुपोषणम्।हविष्यं ब्रह्मचर्यं च महापातकनाशनम् ।।*
👉🏻 *वैशाख मास में सवेरे का स्नान, यज्ञ, दान, उपवास, हविष्य-भक्षण तथा ब्रह्मचर्य का पालन – ये महान पातकों का नाश करने वाले हैं |*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण में यह बताया है की वैशाख मास में क्या क्या त्याज्य है।*
*तैलाभ्यङ्गं दिवास्वापं तथा वै कांस्य भोजनम् ।। खट्वा निद्रां गृहे स्नानं निषिद्धस्य च भक्षणम् ।।*
👉🏻 *वैशाख में तेल लगाना, दिन में सोना, कांस्यपात्र में भोजन करना, खाट पर सोना, घर में नहाना, निषिद्ध पदार्थ खाना दोबारा भोजन करना तथा रात में खाना – इन आठ बातों का त्याग करना चाहिए।*
🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार वैशाख में भूमि का दान करना चाहिए | ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार वैशाख मास में ब्राह्मण को सत्तू दान करने वाला पुरुष सत्तू कण के बराबर वर्षों तक विष्णु मन्दिर में प्रतिष्ठित होता है।*
👉🏻 *वैशाख मास में गृह प्रवेश करने से धन, वैभव, संतान एवं आरोग्य की प्राप्ति होती हैं ।*
👉🏻 *देव प्रतिष्ठा के लिये वैशाख मास शुभ है। वृक्षारोपण के लिए वैशाख मास विशेष शुभ है |*
🙏🏻 *स्कन्द पुराण में वर्णित वैशाख मास के माहात्म्य के कुछ अंश*
➡ *वैशाख मास भगवान विष्णु को अत्यन्त प्रिय है ।*
➡ *वैशाख मास माता की भाँति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करने वाला है ।*
➡ *जो वैशाख मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरन्तर प्रीति करते हैं।*
➡ *सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है।*
➡ *जो मनुष्य वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है। प्याऊ देवताओं, पितरों तथा ऋषियों को अत्यन्त प्रीति देने वाला है। जिसने वैशाख मास में प्याऊ लगाकर थके-मांदे मनुष्यों को संतुष्ट किया है, उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर लिया।*
➡ *वैशाख मास में जल की इच्छा रखने वाले को जल, छाया चाहने वाले को छाता और पंखे की इच्छा रखने वाले को पंखा देना चाहिए।*
➡ *विष्णुप्रिय वैशाख में जो पादुका दान करता है, वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णुलोक को प्राप्त कर लेता है ।*
➡ *जो मार्ग में अनाथों के ठहरने के लिए विश्रामशाला बनवाता है, उसके पुण्य फल का वर्णन नहीं किया जा सकता।*
➡ *अन्नदान मनुष्यों को तत्काल तृप्त करने वाला है।इसलिए इससे बढ़कर कोई दूसरा दान ही नहीं है।*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण में कहा गया है “योऽर्चयेत्तुलसीपत्रैर्वैशाखे मधुसूदनम् ।। नृपो भूत्वा सार्वभौमः कोटिजन्मसु भोगवान् ।। पश्चात्कोटिकुलैर्युक्तो विष्णोः सायुज्यमाप्नुयात्” जो वैशाख मास में तुलसीदल से भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह विष्णु की सामुज्य मुक्ति को पाता है।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞