
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
?️ *दिनांक -15 अप्रैल 2024*
?️ *दिन – सोमवार*
?️ *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार – 2080)*
?️ *शक संवत -1946*
?️ *अयन – उत्तरायण*
?️ *ऋतु – वसंत ॠतु*
?️ *अमांत – 3 गते वैशाख मास प्रविष्टि*
?️ *राष्ट्रीय तिथि – 26 फाल्गुन मास*
?️ *मास – चैत्र*
?️ *पक्ष – शुक्ल*
?️ *तिथि – सप्तमी दोपहर 12:11 तक तत्पश्चात अष्टमी*
?️ *नक्षत्र – पुनर्वसु 16 अप्रैल रात्रि 03:05 तक तत्पश्चात पुष्य*
?️ *योग – सुकर्मा रात्रि 11:09 तक तत्पश्चात धृति*
?️ *राहुकाल – सुबह 07:30 से सुबह 09:05 तक*
? *सूर्योदय- 05:50*
?️ *सूर्यास्त- 18:45*
? *दिशाशूल – पूर्व दिशा में*
? *व्रत पर्व विवरण –
? *विशेष – *सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
? *ससुराल में तकलीफ हो तो* ?
?? *जिनको शादी के बाद कठिनाई आती है… ससुराल में ….उनको चैत्र मास शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को (यानि 16 अप्रैल 2024 मंगलवार को)– ॐ ह्रीं गौरिये नम: | ॐ ह्रीं गौरिये नम: | का जप करे | और प्रार्थना करे “की शिवजी की अति प्रिय हो माँ… हमारे परिवार में ये समस्या न रहें |*
?? *”आपके परिचितों में किसी को भी बेटी, बहन शादी के बाद दिक्कते आती हो तो आप इनको बता दें | ऐसा करें बेटी न कर पाये तो बाप तो करे, भाई करें, बहन करें की मेरी बेटी, बहन को ऐसी तकलीफ न हो ऐसा संकल्प करें, नाम और गोत्र का उच्चारण करके |*
? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
? *काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए* ?
?? *अगर काम धंधा करते हैं और सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को.. बेल के कोमल -कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर माँ जगदम्बा को अर्पण करने से …. मंत्र बोले ” ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः । ” और थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है गुरु मंत्र का जप और कभी -कभी ये प्रयोग करें नवरात्रियों में तो खास करें | देवी भागवत में वेद व्यासजी ने बताया है।*
? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
? *चैत्र नवरात्रि* ?
?? *नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानी सातवें दिन माता दुर्गा को गुड़ का भोग लगाएं ।इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है।*
? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
? *चैत्र नवरात्रि* ?
?? *शत्रुओं का नाश करती हैं मां कालरात्रि*
*महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।
