ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
वैदिक पंचांग
🌤️ *दिन – मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080*
🌤️ *शक संवत – 1945*
🌤️ *अयन – उत्तरायण*
🌤️ *ऋतु – शिशिर ऋतु*
🌤️ *अमांत – 1 falagun मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 23 पौष मास*
🌤️ *मास – माघ*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – चतुर्थी दोपहर 02:41 तक तत्पश्चात पंचमी*
🌤️ *नक्षत्र – उत्तरभाद्रपद दोपहर 12:35 तक तत्पश्चात रेवती*
🌤️ *योग – साध्य रात्रि 11:05 तक तत्पश्चात शुभ*
🌤️ *राहुकाल – शाम 03:15 से शाम 04:37 तक*
🌞 *सूर्योदय – 07:01*
🌤️ *सूर्यास्त – 18:03*
👉 *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – श्रीगणेश जयंती, वरद चतुर्थी, विनायक चतुर्थी, मंगलवारी चतुर्थी(सूर्योदय से दोपहर 02:41 तक), विष्णुपदी-कुम्भ संक्रांति (पुण्यकाल:सुबह 09:51 से दोपहर 03:54 तक), पंचक*
💥 *विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *’मातृ–पितृ पूजन दिवस’ ज्योतिष की दृष्टि से*
🙏🏻 *अपने माता पिता का आदर करते और वेलेंटाईन डे का कचरा दिमाग में न रखें… कि ये लोग मानते हैं तो हम भी मनाये… नहीं !! अपने माता पिता का पूजन करें…. बापूजी ने सहज में ऐसी सुन्दर सीख दी । हर साल जो 14 फरवरी को वेलेंटाईन डे मनाते हैं न ….मूर्ख लोग…. पर*
🙏🏻 *14 फरवरी के दिन अधिकांशतः सूर्य भगवान कुम्भ राशि पे होतें है । बिलकुल कोई पंडित इसको नकार नहीं सकता, लगभग अधिकांश 14 फरवरी को सूर्य भगवान कुम्भ राशि पे होतें हैं और कुम्भ राशि के स्वामी कौन हैं ? शनि देव । कुम्भ राशि के स्वामी शनि, शनि देव सूर्य भगवान के बेटे हैं । तो वो अपने पिता का खूब आदर करते और पिता की परिक्रमा करते हैं । तो जो 14 फरवरी के दिन वेलेंटाईन डे मनाते हैं न उनपे सूर्य भगवान और शनि देव दोनों नाराज़ होतें है भयंकर और 14 फरवरी के दिन बापूजी के कहे अनुसार जो माता पिता का पूजन करते हैं उनपे सूर्य भगवान और शनि देव दोनों खुश होते हैं… क्योंकि उस दिन शनि देवता भी सूर्य भगवान की पूजा करते हैं और सूर्य भगवान की परिक्रमा करते हैं ।*
🙏🏻
🕉️ *~ वैदिक पंचांग ~* 🕉️
🌷 *वसंत पंचमी* 🌷
➡️ *14 फरवरी 2024 बुधवार को वसंत पंचमी है।*
🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण तथा देवीभागवत पुराण के अनुसार जो मानव माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन संयमपूर्वक उत्तम भक्ति के साथ षोडशोपचार से भगवती सरस्वती की अर्चना करता है, वह वैकुण्ठ धाम में स्थान पाता है। माघ शुक्ल पंचमी विद्यारम्भ की मुख्य तिथि है। “माघस्य शुक्लपञ्चम्यां विद्यारम्भदिनेऽपि च।”*
🙏🏻 *श्रीकृष्ण ने सरस्वती से कहा था*
🌷 *प्रतिविश्वेषु ते पूजां महतीं ते मुदाऽन्विताः । माघस्य शुक्लपञ्चम्यां विद्यारम्भेषु सुन्दरि ।।*
*मानवा मनवो देवा मुनीन्द्राश्च मुमुक्षवः । सन्तश्च योगिनः सिद्धा नागगन्धर्वकिंनराः ।।*
*मद्वरेण करिष्यन्ति कल्पे कल्पे यथाविधि । भक्तियुक्ताश्च दत्त्वा वै चोपचारांश्च षोडश ।।*
*काण्वशाखोक्तविधिना ध्यानेन स्तवनेन च । जितेन्द्रियाः संयताश्च पुस्तकेषु घटेऽपि च ।।*
*कृत्वा सुवर्णगुटिकां गन्धचन्दन चर्च्चिताम् । कवचं ते ग्रहीष्यन्ति कण्ठे वा दक्षिणे भुजे ।।*
*पठिष्यन्ति च विद्वांसः पूजाकाले च पूजिते । इत्युक्त्वा पूजयामास तां देवीं सर्वपूजितः ।।*
*ततस्तत्पूजनं चक्रुर्ब्रह्मविष्णुमहेश्वराः । अनन्तश्चापि धर्मश्च मुनीन्द्राः सनकादयः ।।*
*सर्वे देवाश्च मनवो नृपा वा मानवादयः । बभूव पूजिता नित्या सर्वलोकैः सरस्वती ।।*
🙏🏻 *“सुन्दरि! प्रत्येक ब्रह्माण्ड में माघ शुक्ल पंचमी के दिन विद्यारम्भ के शुभ अवसर पर बड़े गौरव के साथ तुम्हारी विशाल पूजा होगी। मेरे वर के प्रभाव से आज से लेकर प्रलयपर्यन्त प्रत्येक कल्प में मनुष्य, मनुगण, देवता, मोक्षकामी प्रसिद्ध मुनिगण, वसु, योगी, सिद्ध, नाग, गन्धर्व और राक्षस– सभी बड़ी भक्ति के साथ सोलह प्रकार के उपचारों के द्वारा तुम्हारी पूजा करेंगे। उन संयमशील जितेन्द्रिय पुरुषों के द्वारा कण्वशाखा में कही हुई विधि के अनुसार तुम्हारा ध्यान और पूजन होगा। वे कलश अथवा पुस्तक में तुम्हें आवाहित करेंगे। तुम्हारे कवच को भोजपत्र पर लिखकर उसे सोने की डिब्बी में रख गन्ध एवं चन्दन आदि से सुपूजित करके लोग अपने गले अथवा दाहिनी भुजा में धारण करेंगे। पूजा के पवित्र अवसर पर विद्वान पुरुषों के द्वारा तुम्हारा सम्यक प्रकार से स्तुति-पाठ होगा। इस प्रकार कहकर सर्वपूजित भगवान श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती की पूजा की। तत्पश्चात, ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अनन्त, धर्म, मुनीश्वर, सनकगण, देवता, मुनि, राजा और मनुगण– इन सब ने भगवती सरस्वती की आराधना की। तब से ये सरस्वती सम्पूर्ण प्राणियों द्वारा सदा पूजित होने लगीं।*
🙏🏻 *वसन्त पंचमी पर सरस्वती मूल मंत्र की कम से कम 1 माला जप जरूर करना चाहिए।*
➡ *मूल मंत्र : “श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा”*
🙏🏻 *सरस्वती जी का वैदिक अष्टाक्षर मूल मंत्र जिसे भगवान शिव ने कणादमुनि तथा गौतम को, श्रीनारायण ने वाल्मीकि को, ब्रह्मा जी ने भृगु को, भृगुमुनि ने शुक्राचार्य को, कश्यप ने बृहस्पति को दिया था जिसको सिद्ध करने से मनुष्य बृहस्पति के समान हो जाता है ।*
🙏🏻 *सरस्वती पूजा के लिए नैवैद्य (ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार)*
*नवनीतं दधि क्षीरं लाजांश्च तिललड्डुकान् । इक्षुमिक्षुरसं शुक्लवर्णं पक्वगुडं मधु ।।*
*स्वस्तिकं शर्करां शुक्लधान्यस्याक्षतमक्षतम्। अस्विन्नशुक्लधान्यस्य पृथुकं शुक्लमोदकम् ।।*
*घृतसैन्धवसंस्कारैर्हविष्यैर्व्यञ्जनैस्तथा । यवगोधूमचूर्णानां पिष्टकं घृतसंस्कृतम् ।।*
*पिष्टकं स्वस्तिकस्यापि पक्वरम्भाफलस्य च । परमान्नं च सघृतं मिष्टान्नं च सुधोपमम् ।।*
*नारिकेलं तदुदकं केशरं मूलमार्द्रकम् । पक्वरम्भाफलं चारु श्रीफलं बदरीफलम् ।।*
*कालदेशोद्भवं पक्वफलं शुक्लं सुसंस्कृतम् ।।*
🙏 *ताजा मक्खन, दही, दूध, धान का लावा, तिल के लड्डू, सफेद गन्ना और उसका रस, उसे पकाकर बनाया हुआ गुड़, स्वास्तिक (एक प्रकार का पकवान), शक्कर या मिश्री, सफेद धान का चावल जो टूटा न हो (अक्षत), बिना उबाले हुए धान का चिउड़ा, सफेद लड्डू, घी और सेंधा नमक डालकर तैयार किये गये व्यंजन के साथ शास्त्रोक्त हविष्यान्न, जौ अथवा गेहूँ के आटे से घृत में तले हुए पदार्थ, पके हुए स्वच्छ केले का पिष्टक, उत्तम अन्न को घृत में पकाकर उससे बना हुआ अमृत के समान मधुर मिष्टान्न, नारियल, उसका पानी, कसेरू, मूली, अदरख, पका हुआ केला, बढ़िया बेल, बेर का फल, देश और काल के अनुसार उपलब्ध ऋतुफल तथा अन्य भी पवित्र स्वच्छ वर्ण के फल – ये सब नैवेद्य के समान हैं।*
🌷 *सुगन्धि शुक्लपुष्पं च गन्धाढ्यं शुक्लचन्दनम् । नवीनं शुक्लवस्त्रं च शङ्खं च सुमनोहरम् ।।*
*माल्यं च शुक्लपुष्पाणां मुक्ताहीरादिभूषणम् ।।*
🙏🏻 *सुगन्धित सफेद पुष्प, सफेद स्वच्छ चन्दन तथा नवीन श्वेत वस्त्र और सुन्दर शंख देवी सरस्वती को अर्पण करना चाहिये। श्वेत पुष्पों की माला और श्वेत भूषण भी भगवती को चढ़ावे।*
🙏🏻 *स्मरण शक्ति प्राप्त करने के लिए वसंत पंचमी से शुरू करके प्रतिदिन याज्ञवल्क्य द्वारा रचित भगवती सरस्वती की स्तुति करनी चाहिए।