
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
* आज का हिन्दू पंचांग *
*⛅दिनांक – 04 अक्टूबर 2022*
*⛅दिन – मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2079*
*⛅शक संवत् – 1944*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 18 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 12 आश्विन मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – नवमी दोपहर 02:20 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र – उत्तराषाढ़ा रात्रि 12:25 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग – अतिगण्ड सुबह 11:23 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल – अपरान्ह 03:00 से 04:28 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:12*
*⛅सूर्यास्त – 05:59*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:55 से 05:44 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:04 से 12:53 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – महानवमी, नवरात्रि व्रत समाप्त*
*⛅ विशेष – नवमी को लौकी एवं दशमी को कलम्बिका शाक खाना सर्वथा त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹 नवरात्रि – महानवमी – 04 अक्टूबर 🌹*
*🌹 चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन माँ दुर्गा के नौवें अवतार सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है । माँ सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं । सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है ।*
*🌹 नवरात्रि की नवमी तिथि यानी अंतिम दिन माता दुर्गा को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं । इससे वैभव व यश मिलता है ।*
🌹 *नवरात्र के उपवास कब खोलें ?*
*🔹शारदीय नवरात्रि पारणा समय – 4 अक्टूबर, मंगलवार सुबह 11:00 के बाद एवं दोपहर 2:15 के पहले उपवास खोलना है ।*
*🌹 शास्त्रों में लिखा है – ‘नवमी तिथि को पारणा करने से कुल की वृद्धि होती हैं ।’ अतः नौ दिन का उपवास हो या केवल सप्तमी, अष्टमी और नवमी का उपवास हो – दोनों प्रकार के व्रतों का दशमी तिथि लगने से पूर्व नवमी तिथि में ही पारणा कर लेना चाहिए । 04 अक्टूबर को सुबह 11:00 के बाद दोपहर 02:15 पहले पारणा कर लें अर्थात् बिना उपवास का अन्न जैसे – मूँग, रोटी, चावल आदि कुछ खा लें ।*
*🔹विद्यार्थियों की समस्याएँ एवं उनका समाधान – भाग (२)*
*🔹स्मृति व बुद्धि शक्ति बढ़ाने के उपाय🔹*
*👉 इंटरनेट पर अपना समय बरबाद न करें और जैविक घड़ी अनुसार अपनी दिनचर्या बनायें ।*
*👉 भ्रामरी व अनुलोम-विलोम प्राणायाम, त्राटक, पूज्य बापूजी द्वारा बतायी गयी श्वासों को गिनने की साधना तथा पूज्यश्री से दीक्षा में प्राप्त सारस्वत्य मंत्र या भगवन्नाम का जप नियमितरूप से करें। ये एकाग्रता, स्मरणशक्ति बढ़ाने के अचूक साधन हैं ।*
*👉 पढ़ाई करते समय कमर सीधी करके बैठें । कमर झुकाकर या लेट के न पढ़ें ।*
*👉 पढ़ने से पहले जीभ को तालू में लगाकर थोड़ी देर शांत बैठें । इससे मन एकाग्र होता है और बुद्धिशक्ति बढ़ती है ।*
*👉 जिन बच्चों को सिर में दर्द रहता है वे नाक में २-२ बूँद गुनगुना देशी गाय का शुद्ध घी डालें ।*
*👉 देर रात तक पढ़ने से बुद्धि कमजोर होती है और याद भी देर से होता है । अतः रात को ९-१० बजे सो जायें और प्रातः ४-४.३० बजे उठ के पढ़ें ।*
*👉 आसन, व्यायाम, सूर्यनमस्कार, पैदल भ्रमण रोज करें । सादा सात्त्विक भोजन करें ।*
*👉 सुबह खाली पेट तुलसी के ५-७ पत्ते चबाकर ऊपर से १ गिलास गुनगुना पानी पियें (रविवार, द्वादशी, अमावस्या को छोड़कर) । तुलसी-सेवन व दूध में २ घंटे का अंतर रखें ।*
*👉 सुबह १-१ चम्मच आँवला रस व शहद का मिश्रण लेने से स्मृतिशक्ति बढ़ती है ।*
*👉 देशी गाय के दूध में १ चम्मच (५ ग्राम) देशी गाय का घी मिलाकर पीने से स्मृतिशक्ति व बुद्धि बढ़ती है । पेट साफ करने में भी यह मददरूप है ।*
*🔹स्मरणशक्ति बढ़ाने हेतु विशिष्ट औषधियाँ🔹*
*(१) सुवर्णप्राश : १ से २ गोली सुबह खाली पेट दूध या देशी गाय के घी से लें । यह बच्चों के बौद्धिक विकास के साथ मानसिक व शारीरिक विकास के लिए भी विशेष लाभदायी है ।*
*(२) शंखपुष्पी सिरप : १ से २ चम्मच सुबह-शाम लें । याददाश्त बढ़ाने हेतु यह एक दिव्य औषधि है ।*
*(३) ब्राह्मी घृत : एक चम्मच (५ ग्राम) घृत’ : सुबह खाली पेट गरम पानी से लें । बाद में भूख लगने पर भोजन करें । यह दिमागी कमजोरी को दूर करके बुद्धि की मंदता एवं याददाश्त की कमजोरी में लाभदायी है ।*
