
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
?️ *दिनांक – 22 मई 2024*
?️ *दिन – बुधवार*
?️ *विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
?️ *शक संवत -1946*
?️ *अयन – उत्तरायण*
?️ *ऋतु – ग्रीष्म ॠतु*
?️ *अमांत – 9 गते ज्येष्ठ मास प्रविष्टि*
?️ *राष्ट्रीय तिथि – 1 ज्येष्ठ मास*
?️ *मास – वैशाख*
?️ *पक्ष – शुक्ल*
?️ *तिथि – चतुर्दशी शाम 06:47 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
?️ *नक्षत्र – स्वाती सुबह 07:47 तक तत्पश्चात विशाखा*
?️ *योग – वरीयान दोपहर 12:37 तक तत्पश्चात परिघ*
?️ *राहुकाल – दोपहर 12:14 से दोपहर 01:56 तक*
? *सूर्योदय- 05:20*
?️ *सूर्यास्त- 19:08*
? *दिशाशूल – उत्तर दिशा में*
? *व्रत पर्व विवरण –
? *विशेष – चतुर्दशी व पूर्णिमा एवं व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
? *सुख – सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति – वैशाखी पूर्णिमा*
➡️ *23 मई 2024 गुरुवार को वैशाखी पूर्णिमा है ।*
?? *वैशाखी पूर्णिमा को ‘धर्मराज व्रत’ कहा गया है | यह पूर्णिमा दान-धर्मादि के अनेक कार्य करने के लिए बड़ी ही पवित्र तिथि है | इस दिन गरीबों में अन्न, वस्त्र, टोपियाँ, जूते-चप्पल, छाते, छाछ या शर्बत , सत्संग के सत्साहित्य आदि का वितरण करना चाहिए | अपने स्नेहियों, मित्रों को सत्साहित्य, सत्संग की वीसीडी, डीवीडी, मेमोरी कार्ड आदि भेंट में दे सकते हैं |*
?? *इस दिन यदि तिलमिश्रित जल से स्नान कर घी, शर्करा और तिल से भरा हुआ पात्र भगवान विष्णु को निवेदन करें और उन्हीं से अग्नि में आहुति दें अथवा तिल और शहद का दान करें, तिल के तेल के दीपक जलाये, जल और तिल से तर्पण करें अथवा गंगादि में स्नान करें तो सब पापों से निवृत्त हो जाते हैं | यदि उस दिन एक समय भोजन करके पूर्ण-व्रत करें तो सब प्रकार की सुख-सम्पदाएँ और श्रेय की प्राप्ति होती है |*
? *~ वैदिक पंचांग ~* ?
? *वैशाखी पूनम* ?
?? *वैशाख मास की पूर्णिमा की कितनी महिमा है !! इस पूर्णिमा को जो गंगा में स्नान करता है , भगवत गीता और विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करता है उसको जो पुण्य होता है उसका वर्णन इस भूलोक और स्वर्गलोक में कोई नहीं कर सकता उतना पुण्य होता है | ये बात स्कन्द पुराण में लिखी हुई है | अगर कोई विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ न कर सके तो गुरु मंत्र की १० माला जादा कर ले अपने नियम से |*
