
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल

🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 17 सितम्बर 2023*
🌤️ *दिन – रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – शरद ॠतु*
🌤️ *अमांत – 1 गते भाद्र पद मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 26 श्रावण मास*
🌤️ *मास – भाद्रपद*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – द्वितीया सुबह 11:08 तक तत्पश्चात तृतीया*
🌤️ *नक्षत्र – हस्त सुबह 10:02 तक तत्पश्चात चित्रा*
🌤️ *योग – ब्रह्म 18 सितम्बर प्रातः 04:28 तक तत्पश्चात इन्द्र*
🌤️ *राहुकाल – शाम 04:45 से शाम 06:17 तक*
🌞 *सूर्योदय-06:02*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:21*
👉 *दिशाशूल- पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – षणशीति-कन्या संक्रांति (पुण्यकाल:दोपहर 01:43 से सूर्यास्त तक*
💥 *विशेष- द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
💥 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
💥 *रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
💥 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *हरितालिका तीज* 🌷
🙏🏻 *भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 18 सितम्बर, सोमवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-*
🌷 *विधि*
*इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं। इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं।*
🙏🏻 *प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। व्रत का पूजन रात भर चलता है। महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है।*
🌷 *भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-*
*ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:*
🌷 *भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-*
*ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:*
🙏🏻 *पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं और अन्न ग्रहण करती हैं।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌷 *ससुराल में कोई तकलीफ* 🌷
👩🏻 *किसी सुहागन बहन को ससुराल में कोई तकलीफ हो तो शुक्ल पक्ष की तृतीया को उपवास रखें …उपवास माने एक बार बिना नमक का भोजन कर के उपवास रखें ..भोजन में दाल चावल सब्जी रोटी नहीं खाएं , दूध रोटी खा लें ..शुक्ल पक्ष की तृतीया को..अमावस्या से पूनम तक की शुक्ल पक्ष में जो तृतीया आती है उसको ऐसा उपवास रखें …नमक बिना का भोजन(दूध रोटी) , एक बार खाएं बस……अगर किसी बहन से वो भी नहीं हो सकता पूरे साल का तो केवल*
➡ *माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया,*
➡ *वैशाख शुक्ल तृतीया और भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया जरुर ऐसे ३ तृतीया का उपवास जरुर करें …नमक बिना करें ….जरुर लाभ होगा…*
💥 *विशेष – 18 सितम्बर 2023 सोमवार को भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया है ।*
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞पंचक प्रारंभ : मंगलवार, 26 सितंबर 2023 अपराह्न 08:28 बजे
पंचक समाप्त : शनिवार, 30 सितंबर 2023 को रात 09:08 बजे
