पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली। जालसाज ठगों ने अब जीवित तो जीवित मृत व्यक्ति को भी अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. आरोपियों ने एक मृत व्यक्ति के फर्जी दस्तावेज बना के उसके पीपीएफ खाते से 1.39 करोड़ रुपये उड़ा दिए। सबसे बड़ी बात तो ये है कि इन आरोपियों में एक SBI का ब्रांच मैनेजर भी शामिल है। पुलिस ने एसबीआई के सहायक शाखा प्रबंधक और भुलेश्वर के एक व्यवसायी सहित दो अन्य लोगों को गिराफ्तर कर लिया है। मृत व्यक्ति के 88 वर्षीय पिता उस समय हैरान रह गए जब उन्हें हाल ही में पता चला कि किसी ने उनके बेटे के पैसे पर धोखाधड़ी से दावा किया है। जबकि उनके बेटे अमित प्रसाद की 2008 में अमेरिका में मौत हो गई थी।
मरीन ड्राइव पुलिस ने सहायक शाखा प्रबंधक प्रियांक शर्मा, पदम सेन और हवाला ऑपरेटर राजेश पंचाल को गिरफ्तार किया। इसके अलावा इस केस में शामिल अन्य दो लोगों की तलाश जारी है। बता दें कि इस साल मार्च में वार्डन रोड निवासी हनुमंत प्रसाद ने नरीमन प्वाइंट स्थित एसबीआई की बैकबे रिक्लेमेशन शाखा में अपने बेटे के पीपीएफ खाते को लेकर मरीन ड्राइव थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
बेटे की मौत के एक साल बाद हनुमंत प्रसाद ने बैंक से बेटे के पीपीएफ खाते से पैसा उसके खाते में ट्रांसफर कराने के लिए संपर्क किया.एल। बार-बार बैंक में कहे जानें के बाद एक अधिकारी ने अपने प्रबंधक अमृतलाल पटेल को पीपीएफ फंड को ट्रांसफर करने की प्रोसेस को ट्रैक करने का काम सौंपा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. जोशी ने पुलिस को बताया कि धोखाधड़ी के पैसे उसे प्रेम शर्मा ने दिए थे जिसने कहा कि उसने सारा पैसा राजेश पंचाल को दे दिया. इसके अलावा पता चला कि पांचाल बैंकर शर्मा के करीबी दोस्त थे और शर्मा के निर्देश पर, उन्होंने पद्म सेन और दूसरे नीलेश कदम उर्फ सत्या के दो खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
जिसके बाद कार्यवाही शुरू की गई।बीहनुमंत प्रसाद उस वक्त यह जानकर चौंक गए कि कुछ साल पहले ही अमित विजय प्रसाद के खाते से राशि ट्रांसफर कर दी गई थी, जो उसके पिता के अकाउंट में नहीं बल्कि किसी जालसाज के खाते में स्थानांतरित की गई थी। पूछताछ के बाद, उन्हें पता चला कि मृत बेटे के खाते से 1.39 करोड़ रुपये किसी और के अकाउंट में ट्रांसफर हुए हैं। जांच के दौरान, यह पता चला कि राशि आईसीआईसीआई बैंक, गोरेगांव शाखा में अमित प्रसाद के खाते में स्थानांतरित की गई थी, जिसे अब बंद कर दिया गया था और राशि को विभिन्न खातों – गजानन एंटरप्राइजेज, लक्ष्मी एंटरप्राइजेज में स्थानांतरित कर दिया गया था। उसके बाद रकम को यस बैंक और इक्विटास स्मॉल फाइनेंस में अलग-अलग नामों से डायवर्ट किया गया। बाद में एक लालीराम देवासी ने भुलेश्वर बाजार के एक दलाल मुकेश जैन के माध्यम से यह सारी रकम नकद प्राप्त कर तनसुख जोशी को दे दी।