पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली. ड्रीम 11 पर टीम बनाकर लाखों-करोड़ों रुपये जीताने का सपना दिखाने वाली कंपनी कानूनी पचड़े में फंस गई है. मुंबई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 9 फरवरी को 7.6 करोड़ रुपये किराया नहीं चुकाने पर फंतासी स्पोर्ट्स, ड्रीम 11 की मूल कंपनी स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली. हालांकि, अब NCLT ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म Dream 11 का संचालन करने वाली कंपनी स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी.
इसके साथ ही अपीलीय न्यायाधिकरण ने ड्रीम11 का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भंग किए जाने के बाद नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को अगली सुनवाई तक कोई कदम न उठाने का निर्देश दिया है. सुनवाई की अगली तारीख 23 फरवरी तय की गई है. ड्रीम11 आईपीएल टी20 क्रिकेट लीग का मुख्य प्रायोजक है. स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की मुंबई पीठ के फैसले को चुनौती दी थी. कंपनी के सह-संस्थापक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी भावित सेठ ने यह याचिका दायर की थी.
इस याचिका की सुनवाई करते हुए अपीलीय न्यायाधिकरण की 3 सदस्यीय पीठ ने स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज के आईआरपी और रिवॉर्ड बिजनेस सॉल्यूशन के समाधान पेशेवर को नोटिस जारी किया और उन्हें एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
कार्यवाही के दौरान स्पोर्टा टेक्नोलॉजीज के वकील अरुण कथपालिया ने एनसीएलटी के नौ फरवरी को पारित आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि आईपीएल टूर्नामेंट नजदीक आ रहा है और इस आदेश का असर आने वाले सत्र की तैयारियों पर पड़ेगा. एनसीएलटी ने परिचालन कर्जदाता रिवॉर्ड सॉल्यूशंस की तरफ से दायर 7.61 करोड़ रुपये के बकाया के दावे की याचिका पर ड्रीम 11 के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था. यह निर्णय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) की धारा नौ के तहत सुनाया गया था.