पहाड़ का सच/एजेंसी
हरियाणा के चखरी दादरी से एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है, वहां एक बुजुर्ग दंपत्ति ने सल्फास की गोलियां खाकर सुसाइड कर लिया। मरने से पहले बुजुर्ग दंपत्ति ने पुलिस को एक सुसाइड नोट भी सौंपा जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयां किया है। सुसाइड करने वाले दोनों बुजुर्ग दंपती आईएएस विवेक आर्य के दादा और दादी है. उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा है कि ‘मेरे बेटे के पास 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन खाने में हमें सुखी और बासी रोटी देते हैं। इस मीठे जहर को कब तक खाते इसलिए हमने सल्फास की गोलियां खा ली।
सुसाइड करने के बाद आईएएस विवेक आर्य के दादा ने पुलिस को इसकी सूचना दी। जिसके बाद मौके पर जब पुलिस पहुंची तो उन्होंने सुसाइड नोट सौंप दिया। जिसके बाद पुलिस ने दोनों को एक निजी अस्पताल में एडमिट कराया. वहां से दादरी सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर परिवार के चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
मिली जानकारी के अनुसार मूलरूप से गोपी निवासी जगदीशचंद (78) और भागली देवी (77) अपने बेटे विरेंद्र के पास बाढड़ा के शिव कालोनी में रहते थे। विरेंद्र आर्य का बेटा विवेक आर्य 2021 में आईएएस बना था और उन्हें हरियाणा कैडर मिला है। इस समय वो अंडर ट्रेनी काम कर रहे हैं और उनकी पोस्टिंग करनाल में है। बुधवार रात जगदीशचंद आर्य और उनकी पत्नी भागली देवी ने बाढड़ा स्थित अपने आवास पर जहरीला पदार्थ निगल लिया और देर रात जगदीशचंद आर्य ने जहर निगलने की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम में दी। इसके बाद ईआरवी 151 मौके पर पहुंची और बाढड़ा थाने से भी पुलिस टीम को मौके पर बुलाया गया। वहीं पुलिस को जगदीशचंद ने सुसाइड नोट भी सौंपा। हालत बिगड़ने पर बुजुर्ग दंपती को पहले बाढड़ा के निजी अस्पताल ले जाया गया और वहां हालत गंभीर होने के चलते उन्हें दादरी सिविल अस्पताल भेजा गया। दादरी अस्पताल में चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। वहीं मृतक के बेटे विरेंद्र ने बताया कि जहर खाने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई थी. उम्र के इस पड़ाव में दोनों बीमारी के चलते परेशान थे, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया है।
मैं जगदीश चंद आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं। मेरे बेटों के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उन के पास मुझे देने के लिए दो रोटी नहीं हैं। मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था। 6 साल पहले उसकी मौत हो गई. कुछ दिन उसकी पत्नी ने उसे रोटी दी, लेकिन बाद में उसने गलत काम धंधा करना शुरू कर दिया। मेरे भतीजे को अपने साथ ले लिया। मैने इसका विरोध किया तो उनको यह बात अच्छी नहीं लगी। क्योंकि मेरे रहते हुए वे दोनों गलत काम नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने मुझे पीटकर घर से निकाल दिया। मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा और फिर आया तो इन्होंने मकान को ताला लगा दिया। इस दौरान मेरी पत्नी को लकवा आया और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे. अब उन्होंने भी रखने से मना कर दिया और मुझे बासी आटे की रोटी और दो दिन का दही देना शुरू कर दिया। ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली. मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधु, एक बेटा व एक भतीजा है। जितने जुल्म इन चारों ने मेरे ऊपर किया, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करें. मेरी सुनने वालों से प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए और सरकार और समाज इनको दंड दे। तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। मेरी जमा पूंजी बैंक में दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है वो आर्य समाज बाढड़ा को दी जाए।
डीएसपी हैडक्वार्टर विरेंद्र श्योराण ने बताया कि मृतक जगदीशचंद ने निजी अस्पताल में पुलिस के समक्ष लिखित में पत्र दिया है, जिसे सुसाइड नोट भी माना जा सकता है। मृतकों ने परिवार के लोगों पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए जहर खाकर आत्महत्या की है। वहीं मृतकों का पोता आईएएस है और फिलहाल ट्रेनी है। पुलिस ने इस संबंध में चार लाेगों पर जिनमें मृतकों के बेटों व पुत्रवधुओं पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।