पहाड़ का सच/एजेंसी
प्रयागराज। प्रयागराज में एक गरीब परिवार की महिला की मौत के बाद उसे न तो चार कंधे नसीब हो पाये और न ही उसे अर्थी मिली पाई। महिला की मौत के बाद लाचार पति और पिता बांस में चादर बांधकर उसमें शव रखकर अंतिम संस्कार के लिए पैदल निकल पड़े। कई किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने के बाद शुक्रवार दोपहर झूंसी पहुंचने पर जब लोगों ने देखा तो मदद के लिए लोगों ने हाथ बढ़ाया।
दरअसल, वाराणसी का रहने वाला गरीब परिवार कुछ दिन ही प्रयागराज जिले में आया था। यह परिवार झूंसी के नीबी गांव में दोना पत्तल बेचकर जीवन यापन कर रहा था। इसी बीच परिवार के नखडू की पत्नी की तबीयत खराब हो गई। नखडू की पत्नी 26 वर्षीय अनीता कुछ दिनों से बीमार चल रही थी। बीमारी के चलते शुक्रवार को उसकी मौत हो गई, लेकिन गरीबी के चलते परिवार के पास महिला के अंतिम संस्कार के लिए पैसे भी नहीं थे। जब अंतिम संस्कार के लिए परिवार कोई जुगाड़ न कर सका तो पति नखडू एक बांस लाया जिसमें अपने ससुर के साथ एक चादर बांधी और उसी में शव रखकर दोनों पैदल अंतिम संस्कार के लिए दारागंज घाट के लिए चल दिए। उनके पीछे-पीछे अनीता की मां भी रोते हुए चल रही थी।
शुक्रवार सुबह झूंसी में जब लोगों ने यह दृश्य देखा तो लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोगों ने पूछा कि इस तरह से क्या ले जा रहे हो ? चादर में शव देखकर मुंशी का पूरा निवासी सुभाष यादव और ओमप्रकाश मदद के लिए आगे आए। उन्होंने झूंसी थाने में तैनात दरोगा नवीन सिंह को भी सूचना दी तो मौके पर दारोगा का भी पहुंच गए। इसके बाद स्थानीय लोगों ने गरीब परिवार की महिला अनीता के अंतिम संस्कार के लिए चंदा जुटाया। रुपयों का इंतजाम करने के बाद ई रिक्शा बुलाकर शव को उसमें रखकर अंतिम संस्कार के लिए दारागंज श्मशानघाट घाट भेज दिया गया।
बताया जा रहा है कि मृतक अनीता के कुछ रिश्तेदार दारागंज में रहते हैं, इसलिए परिवार दारागंज घाट पर ही अंतिम संस्कार करने जा रहा था। लेकिन, इस तरह की तस्वीरें सभ्य समाज पर कई गंभीर सवाल खड़े करती ही हैं। इसके साथ ही एक गरीब परिवार की बेबसी और लाचारी को भी दिखाती हैं।