पहाड़ का सच, देहरादून
देहरादून स्थित मल्टीडिसीप्लीनरी यूनीवर्सिटी, यूपीईएस ने CERN (यूरोपीयन ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च, स्विटज़रलैंड) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। दोनों संगठनों के बीच इस परस्पर सहयोग के चलते पार्टिकल फिजिक्स रिसर्च के क्षेत्र को नए सिरे से परिभाषित किया जा सकेगा, जिसमें यूपीईएस फ्यूचर सर्कुलर कॉलाइडर (एफसीसी) प्रोजेक्ट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। एफसीसी प्रोजेक्ट दरअसल, दुनिया के सबसे शक्तिशाली पार्टिकल एक्सलरेटर CERN के लार्ज हैडरॉन कॉलाइडर का उत्तराधिकारी है।
शोध एवं विकास कार्यों को बढ़ावा देने के अपने संकल्प को दोहराते हुए यूपीईएस एफसीसी प्रोजेक्ट के लिए सॉफ्टवेयर एवं पार्टिकल डिटैक्टर्स तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। डॉ विपिन गौर और प्रोफे. जे बी सिंह समेत यूपीईएस के अन्य शोधकर्ता इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं। क्रांतिकारी फ्यूचर सर्कुलर कॉलाइडर (एफसीसी) प्रोजेक्ट को फ्रांस-स्विटज़रलैंड सीमा पर, जो कि दोनों देशों के बीच करीब 91 किलोमीटर लंबी है, 100 से 400 मीटर गहरी एक सर्कुलर टनल में लगाया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत् इस सुरंग के भौगोलिक, तकनीकी, पर्यावरणीय और प्रशासनिक पहलुओं तथा इसकी सतह का भी व्यावहार्यता अध्ययन किया जाएगा।
यह पार्टनरशिप छात्रों एवं फैकल्टी सदस्यों को इस अत्याधुनिक शोध से जुड़ने का अभूतपूर्व अनुभव प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें पार्टिकल फिजिक्स में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के अलावा CERN के वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के साथ गठबंधन का अवसर भी दिलाएगी। यह दोनों संगठन वैज्ञानिक अन्वेषण की सीमाओं को और आगे बढ़ाने के प्रयासों को दर्शाता है। यह प्रयास वास्तव में, यूपीईएस द्वारा पार्टिकल फिजिक्स के अन्य प्रोजेक्ट्स जैसे ‘Belle’ और ‘Belle II’ में योगदान करने के इरादों के अनुरूप हैं।
यूपीईएस ने इस मामले में मजबूत कदम बढ़ाते हुए, अपने कैम्पस में Belle II GRID कंप्यूटिंग सेंटर स्थापित करने की भी घोषणा की है। Belle II दरअसल, अंतरराष्ट्रीय पार्टिकल फिजिक्स प्रोजेक्ट है जो कि KEK (हाइ एनर्जी एक्सलरेटर रिसर्च ऑर्गेनाइज़ेशन) में एक भूमिगत जापानी इकाई से संचालित है। इसके साथ ही, यूपीईएस ने अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, आस्ट्रिया, रूस, जापान, कोरिया, आस्ट्रेलिया जैसे संस्थानों की ग्रिड कंप्यूटिंग क्लब के साथ नाता जोड़ा है। यह लैब कंप्यूटिंग ग्रिड टैक्नोलॉजी के एकीकरण और वितरण पर ध्यान देते हुए दुनियाभर के कंप्यूटिंग संसाधनों को परस्पर जोड़कर वैज्ञानिक शोध के मामले में नवोन्मेष को बढ़ावा देगी।
इसके चलते, यूपीईएस के स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस के Belle II ग्रिड टैक्नोलॉजी में प्रशिक्षित छात्रों को इस साल के शुरू में अमेरिका के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में एमएस/पीएचडी के लिए फंडिंग की भी पेशकश की गई है।