ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 29 सितम्बर 2023*
🌤️ *दिन – शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – शरद ॠतु*
🌤️ *अमांत – 13 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 7 भाद्र पद मास*
🌤️ *मास – भाद्रपद*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – पूर्णिमा शाम 03:26 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
🌤️ *नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात रेवती*
🌤️ *योग – वृद्धि रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात ध्रुव*
🌤️ *राहुकाल – सुबह 10:38 से दोपहर 12:07 तक*
🌞 *सूर्योदय-06:09*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:06*
👉 *दिशाशूल- पश्चिम दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – भाद्रपदी पूर्णिमा,प्रोष्ठपदी पूर्णिमा,संन्यासी चतुर्मास समाप्त,महालय श्राद्धारम्भ,पूर्णिमा का श्राद्ध,प्रतिपदा का श्राद्ध*
💥 *विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *श्राद्ध में पालने योग्य नियम* 🌷
➡ *29 सितम्बर 2023 शुक्रवार से महालय श्राद्ध आरम्भ ।*
🙏🏻 *श्रद्धा और मंत्र के मेल से पितरों की तृप्ति के निमित्त जो विधि होती है उसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं।*
🙏🏻 *हमारे जिन संबंधियों का देहावसान हो गया है, जिनको दूसरा शरीर नहीं मिला है वे पितृलोक में अथवा इधर-उधर विचरण करते हैं, उनके लिए पिण्डदान किया जाता है।*
*बच्चों एवं संन्यासियों के लिए पिण्डदान नहीं किया जाता।*
🙏🏻 *विचारशील पुरुष को चाहिए कि जिस दिन श्राद्ध करना हो उससे एक दिन पूर्व ही संयमी, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे दे। परंतु श्राद्ध के दिन कोई अनिमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर पर पधारें तो उन्हें भी भोजन कराना चाहिए।*
🙏🏻 *भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए। पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुर वाणी से कहना चाहिए कि ‘हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें।’*
🙏🏻 *श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसा ही होकर मिलता है। (विष्णु पुराणः 3.16,16)*
🙏🏻 *श्राद्धकाल में शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण-ये सात चीजें विशेष शुद्ध होनी चाहिए।*
🙏🏻 *श्राद्ध में तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिएः शुद्धि, अक्रोध और अत्वरा (जल्दबाजी नही करना)।*
*श्राद्ध में मंत्र का बड़ा महत्त्व है। श्राद्ध में आपके द्वारा दी गयी वस्तु कितनी भी मूल्यवान क्यों न हो, लेकिन आपके द्वारा यदि मंत्र का उच्चारण ठीक न हो तो काम अस्त-व्यस्त हो जाता है। मंत्रोच्चारण शुद्ध होना चाहिए और जिसके निमित्त श्राद्ध करते हों उसके नाम का उच्चारण भी शुद्ध करना चाहिए।*
*जिनकी देहावसना-तिथि का पता नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन करना चाहिए।*
🙏🏻 *हिन्दुओं में जब पत्नी संसार से जाती है तो पति को हाथ जोड़कर कहती हैः ‘मुझसे कुछ अपराध हो गया हो तो क्षमा करना और मेरी सदगति के लिए आप प्रार्थना करना।’ अगर पति जाता है तो हाथ जोड़ते हुए पत्नी से कहता हैः ‘जाने-अनजाने में तेरे साथ मैंने कभी कठोर व्यवहार किया हो तो तू मुझे क्षमा कर देना और मेरी सदगति के लिए प्रार्थना करना।’*
🙏🏻 *हम एक दूसरे की सदगति के लिए जीते जी भी सोचते हैं, मरते समय भी सोचते हैं और मरने के बाद भी सोचते हैं।*
🙏🏻 *क्या करें क्या न करें पुस्तक से*
🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🌞
🌷 *श्राद्ध सम्बन्धी बातें* 🌷
➡ *श्राद्ध कर्म करते समय जो श्राद्ध का भोजन कराया जाता है, तो ११.३६ से १२.२४ तक उत्तम काल होता है l*
➡ *गया, पुष्कर, प्रयाग और हरिद्वार में श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है l*
➡ *गौशाला में, देवालय में और नदी तट पर श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है l*
➡ *सोना, चांदी, तांबा और कांसे के बर्तन में अथवा पलाश के पत्तल में भोजन करना-कराना अति उत्तम माना गया है l लोहा, मिटटी आदि के बर्तन काम में नहीं लाने चाहिए l*
➡ *श्राद्ध के समय अक्रोध रहना, जल्दबाजी न करना और बड़े लोगों को या बहुत लोगों को श्राद्ध में सम्मिलित नहीं करना चाहिए, नहीं तो इधर-उधर ध्यान बंट जायेगा, तो जिनके प्रति श्राद्ध सद्भावना और सत उद्देश्य से जो श्राद्ध करना चाहिए, वो फिर दिखावे के उद्देश्य में सामान्य कर्म हो जाता है l*
➡ *सफ़ेद सुगन्धित पुष्प श्राद्ध कर्म में काम में लाने चाहिए l लाल, काले फूलों का त्याग करना चाहिए l अति मादक गंध वाले फूल अथवा सुगंध हीन फूल श्राद्ध कर्म में काम में नहीं लाये जाते हैं l*
🙏🏻
🌞 ~ *वैदिक पंचांग* ~ 🌞पंचक प्रारंभ : मंगलवार, 26 सितंबर 2023 अपराह्न 08:28 बजे
पंचक समाप्त : शनिवार, 30 सितंबर 2023 को रात 09:08 बजे
एकादशी तिथि
अक्टूबर में
कृष्ण पक्ष एकादशी (इंदिरा एकादशी, अश्विना, कृष्ण एकादशी)
मंगलवार, 10 अक्टूबर 2023
09 अक्टूबर 2023 दोपहर 12:37 बजे – 10 अक्टूबर 2023 दोपहर 03:09 बजे