
प्रकृति के नियमों का उल्लंघन न करें: कंडारी

आपदा में मीडिया का दायित्व पर उत्तराखंड पत्रकार यूनियन की गोष्ठी
पहाड़ का सच देहरादून। आपदा के दौरान गलत सूचनाओं का प्रसार काफी घातक है। सही सूचनाओं का प्रसार समस्याओं के समाधान में सहूलियत प्रदान करता है। अगर समय रहते सही सूचना काे प्रसारित कर दिया जाए और गलत सूचनाओं के प्रसार को रोक दिया जाए तो इससे आपका पीड़ितों के दर्द को एक हद तक कम किया जा सकता है। यह बातें जिला सूचना अधिकारी बद्री प्रसाद नेगी ने शनिवार को उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के कार्यक्रम के दौरान कही।
उत्तराखंड पत्रकार यूनियन की जिला इकाई देहरादून की तरफ से आयोजित ” आपदा और मीडिया का दायित्व” विषय पर आयोजित गोष्ठी के दौरान जिला सूचना अधिकारी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आने वाले समय में पत्रकारों की भूमिका आपदा के दौरान और महत्वपूर्ण होने वाली है। क्योंकि सोशल मीडिया के जमाने में गलत सूचनाओं के प्रसार की आशंका बढ़ गई है। जिस तरह दुनिया सोशल मीडिया की तरफ बढ़ रही है, उससे वास्तविक पत्रकारों की भूमिका और बढ़ गई है। उनकी भूमिका आपदा के दौरान काफी प्रभावशाली हो जाती है जब सही और गलत सूचना का घालमेल होता है।
प्रशासनिक तंत्र का यह दायित्व बनता है कि वह सूचनाओं के आदान-प्रदान के दौरान उपजी बाधाओं को दूर करते हुये मुकम्मल जानकारी पत्रकारों को उपलब्ध कराए। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व समूचा सरकारी तंत्र प्रभावितों के साथ खड़ा रहा। बचाव व राहत कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने कहा कि देहरादून जिले की आपदा भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं थी। जिलाधिकारी सविन बंसल भी दिन रात आपदाग्रस्त इलाकों में रहे। इससे लोगों तक राहत व बचाव कार्य समय से पहुंचे।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष भूपेंद्र कंडारी ने सरकार से सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारों का भी यह प्रमुख दायित्व है कि आपदा के दौरान समय रहते सही सूचना पत्रकारों को उपलब्ध कराये, जिससे खबर प्रकाशित करते समय तथ्यपरक सूचनाओं का इस्तेमाल किया जा सके। सरकार के तरफ से सही समय पर सही सूचना प्रदान न करने से स्थिति और ज्यादा खराब होती है।
कंडारी ने कहा कि बुजुर्गों से सीख लेकर आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग परंपरागत रूप से आवास बनाने के लिये जो नियम बनाते थे उनका पालन करना आवश्यक है। अगर आवास बनाने के लिये परंपरागत नियमों के मुताबिक नीतियां अपनायी जाये तो आने वाले समय में आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
गोष्ठी के दौरान ज्यादातर वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जतायी कि नदी के रास्ते में निर्माण कार्य होने के कारण ही आपदा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। प्रकृति के रास्ते में बने मकान, दुकान और आशियाने ही नष्ट होते हैं। गोष्ठी में उत्तराखंड में आपदा तथा इसके कवरेज के दौरान आने वाली चुनौतियों को लेकर चिंता जतायी गयी।
पूर्व में आयोजित यूनियन की एक बैठक में आपदा कवरेज के दौरान पत्रकारों की जिम्मेदारी तथा उनकी सीमाओं को लेकर उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के जिला अध्यक्ष शशि शेखर ने अपने विचार रखे थे। उनकी तरफ से पेश प्रस्ताव के बाद उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार ध्यानी व महासचिव हरीश जोशी, जिला महासचिव दरबान सिंह गड़िया की मौजूदगी में आयोजन समिति ने आपदा और मीडिया का दाय़ित्व को गोष्ठी के विषय के रूप में तय किया।
गोष्ठी के दौरान सभी वक्ताओं ने इस विषय की प्रासंगिकता को स्वीकार करते हुए इसे मौजूदा परिस्थिति के अनुकूल बताया।गोष्ठी की शुरुआत उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के प्रदेश महासचिव हरीश जोशी ने की। उन्होंने प्रेस क्लब के पास एक रेस्टोरेंट में आयोजित गोष्ठी के दौरान कहा कि वर्तमान समय में आपदा के दौरान पत्रकारों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार विमर्श काफी आवश्यक है। इससे न सिर्फ समाज को नई दिशा मिलेगी बल्कि ऐसे गोष्ठी से निकलने वाले विचारों से सरकार को अपनी नीतियां बनाने में भी सहूलियत मिलेगी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार गौरव गुलेरिया ने कहा कि सरकार को समय रहते चेत जाना चाहिए। अगर समय रहते नदियों के बीच में बाधा बन रहे निर्माण कार्य को नहीं रोका गया तो आने वाले समय में इसके और ज्यादा दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि नदी का रास्ता छोड़कर के ही प्रकृति आपदा से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। प्रकृति अपने हिसाब से चीजों को नियंत्रित व व्यवस्थित करती है। अवैध निमार्ण जैसे कदमों से उसमें बाधा उत्पन्न करने के कारण नुकसान ज्यादा होता है।वरिष्ठ पत्रकार तथा उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के सदस्य योगेश रतूड़ी ने आपदा के दौरान होने वाले कवरेज के जोखिम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि कई बार आपदा के दौरान कवरेज करने के लिए गांव में जाना पड़ता है। उन्हें हमेशा इस बात की चिंता सताती रहती है कि गांव में आगे बढ़ने के बाद पीछे वाली रोड क्षतिग्रस्त ना हो जाए जिससे उनका वापस आना मुश्किल हो जाए। उन्होंने इस तरह की चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि पत्रकारों को आपदा के दौरान कवरेज करते समय अपनी सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मूलरूप से पहाड़ में रहने बसने और काम करने वाले पत्रकारों ने इस विचार गोष्ठी के दौरान अपनी बातें रखी। गोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजय किमोठी ने कहा की बदलती डेमोग्राफी भी कई बार आपदा के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने इसे तर्कसंगत ढंग से समझाते हुए कहा कि प्रदेश की डेमोग्राफी बदल रही है। नदियों के किनारे बढ़ रही बसावट व बिना नियोजन के शहरों के बीच बढ़ रहे बेतहाशा निर्माण के परिणाम है कि आपदा से ज्यादा नुकसान हो रहा है। धराली इसका एक उदाहरण है। उन्होंने भी नदी के रास्ते से काफी दूर जाकर के बसावट की परंपरा को रेखांकित करते हुए कहा कि अगर सरकारों ने उत्तराखंड की परंपरा को अपनी नीतियों में स्थान नहीं दिया तो आने वाले समय में इसके और दुष्परिणाम सामने आयेंगे।
किमोठी ने कहा कि आपदा के बाद सरकारों को जितना मुआवजा लोगों को बांटना होता है तथा आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जितना रुपया खर्च करना पड़ता है, अगर उस रकम को पहले ही आधारभूत ढांचा बनाने पर खर्च किया कर दिया जाए तो इससे होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है।
उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष तिलक राज ने कहा कि आपदा के समय खबरों के प्रकाशन में संवेदनशीलता दिखाई देनी चाहिए। खबरों को सनसनीखेज बनाने की प्रवृति से बचना चाहिए। सही तथ्यों की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए।वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली ने कहा कि पत्रकार , सरकार और जनता के बीच सेतु का काम करते हैं। लोगों को खबरों पर बड़ा भरोसा रहता है,लेकिन कुछ सालों से पत्रकारिता का स्तर गिरा है।
उन्होंने कहा कि आपदा के समय पत्रकारों का दायित्व और भी बढ़ जाता है। प्रभावितों के लिए की जा रही राहत व बचाव की प्रक्रिया पर लोगों की नजर रहती है और उन्हें सही जानकारी की अपेक्षा रहती है। उन्होंने कहा कि इस बार की आपदा में पंजाब में कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने आपदा पीड़ितों की भरपूर मदद की है। उत्तराखंड में भी मजबूत संस्थाओं से आपदा राहत व बचाव कार्यों में सहयोग की अपील की जा सकती है।
उत्तरांचल प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष अनिल चंदोला ने आपदा के दौरान सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये पर ध्यान आकृष्ट करते हुये इससे दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने आपदा पीड़ितों को राजनीतिक चश्मे से देखने तथा मीडिया के एक वर्ग द्वरा इस पर चुप्पी साधे जाने पर चिंता जतायी।
उन्होंने निजी अनुभवों के आधार पर कहा कि सरकार को निष्पक्ष रहते हुये आपदा पीड़ितों के साथ समान व्यवहार करना चाहिये तथा मीडिया को भी अपने तटष्ठता के मापदंड को बरकरार रखना चाहिये।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डा. विनोद पोखरियाल ने कहा कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों के अनुभव भी सरकार की नीतियों को तय करने में काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं। सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि उन पत्रकारों के साथ विचार विमर्श तथा संवाद करे जो पत्रकार आपदा के दौरान मौके पर कवरेज के लिए मौजूद रहते हैं, उनसे मिली जानकारी सरकार की नीतियों को और ज्यादा प्रासांगिक बना सकती है।
उत्तराखंड पत्रकार यूनियन के प्रदेश संगठन मंत्री तथा वरिष्ठ पत्रकार इंद्रेश कोहली ने कहा कि प्राकृतिक आपदा को रोकना किसी सरकार की क्षमता में नहीं है, लेकिन आपदा के दौरान होने वाले नुकसान को रोकना सभी सरकारों की क्षमता में है। अगर सरकार ऐसी नीतियां बनाईं जो तर्कसंगत हो और प्रकृति के सापेक्ष हो, सही निर्माण कार्य किए जाएं तो इससे आपदा के दौरान होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
उन्होंने रोड पर एक्सीडेंटल जॉन के तर्ज पर आपदाग्रस्त क्षेत्र का बोड लगाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि जिन क्षेत्रों में आपदा की आशंका है, उन क्षेत्रों को चिन्हित करके वहां आपदाग्रस्त इलाके का बोर्ड लगाया जाए तथा उसे क्षेत्र में निर्माण कर को रोका जाए।
पत्रकार पितांबर मलिक ने आपदा की समस्या को तीन श्रेणियों में विभक्त करते हुये कहा मीडिया की भूमिका आपदा से पहले, आपदा के दौरान तथा आपदा के बाद अलग अलग है। पहले लोगों को जागरुक करने की भूमिका का, आपदा के दौरान सही सूचना पहुंचाने की भूमिका है तथा आपदा के बाद राहत व बचाव कार्य को मुकम्मल तरीके से लागू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस अवसर पूर्व जिलाध्यक्ष संतोष चमोली, जिला इकाई के कोषाध्यक्ष विपनेश गौतम, जिला महासचिव दरबान सिंह गड़िया, वरिष्ठ पत्रकार के एस बिष्ट, एम सी जोशी, आशीष डोभाल किशोर रावत व अमित शर्मा आदि मौजूद थे।
