
– महाकवि कन्हैया लाल डंडरियाल ने अपनी रचनाओं में गढ़वाली समाज के प्रतिबिंब को उभारा : निशंक

पहाड़ का सच देहरादून।
गढ़वाली भाषा के महाकवि कन्हैया लाल डंडरियाल की पुण्यतिथि पर गढ़वाली कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस मौके पर कवियों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर पर्वतीय अंचल के जन जीवन, समृद्ध लोक संस्कृति को प्रस्तुत किया।
वक्ताओं ने कहा कि गढ़वाली भाषा और साहित्य को एक उच्च मुकाम तक पहुंचाने में कन्हैयालाल डंडरियाल जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 11 नवंबर 1933 को उत्तराखंड के जनपद पौड़ी गढ़वाल के नैली गांव में जन्मे कवि कन्हैयालाल डंडरियाल की मृत्यु दो जून 2004 को हुई। कार्यक्रम में दिल्ली से पहुंचे कवि कन्हैयालाल के सुपुत्र हरिदर्शन डंडरियाल को भी सम्मानित किया गया।
रविवार को प्रेस क्लब में डंडरियाल विकास एवं सामाजिक कल्याण समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम का मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री डां. रमेश पोखरियाल निशंक ने महाकवि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि गढ़वाल के प्रति महाकवि कन्हैया लाल डंडरियाल की अगाथ श्रद्धा और प्रतिबद्धता को उनके पूरे साहित्य में देखा जा सकता है। यह समर्पण उनके लिखने में ही नहीं, बल्कि व्यवहार में भी था। उन्होंने व्यक्तिगत स्वार्थ, राग-द्वेष और बिना किसी पूर्वाग्रह के जीवन मूल्यों, जीवन दृष्टि, व्यथा-वेदना, जनसरोकार, हर्ष, पीड़ा, संघर्षों को केंद्र में रखकर उत्कृष्ट, उदात्त और जीवंत साहित्य की रचना की। कई बार वह व्यग्ंय के रूप में भी उभरकर सामने आती है। उनके लेखन में सामयिक चेतना साफ दिखाई देती है। दूरदृष्टि भी।
उनके लेखन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह पाठकों को बहुत गहरे तक प्रभावित करता है। बहुत संवेदनाओं के साथ. वह उन रचनाओं को अपने आसपास में ढूंढता है। उसे वह मिलती भी है। अपने इर्द-गिर्द या खुद अपने में. उनके लेखन में जीवन के सच को पहचानने और स्वीकारने की चेष्टा दिखाई देती है। वे आमजन की बहुत बारीक कथ्य और भाव को खूबसूरती के साथ व्यक्त करते थे।
कवि आशीष सुंदरियाल ने महाकवि के व्यक्तित्व और रचना संसार पर प्रकाश डाला। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘मंगतू’ खंडकाव्य, ‘अज्वाल’ कविता संग्रह, ‘कुयेड़ी’ (गीत संग्रह), ‘नागरजा’ (महाकाव्य भाग -1) ‘चौठो की घ्वीड़’ (यात्रा वृत्रांत), ‘नागरजा’ (महाकाव्य भाग-2) ‘अंज्वाल’ (कविता संग्रह), ‘नागरजा’ (महाकाव्य भाग-3 व 4) आदि शामिल हैं।
इस मौके पर आयोजित गढ़वाली कवि सम्मेलन रामकृष्ण पोखरियाल ऋषिकेश, ओमप्रकाश सेमवाल रुद्रप्रयाग, जयपाल सिंह रावत दिल्ली, जगमोहन सिंह रावत जगमोरा, मदन मोहन डुकलाण, कवयित्री बीना कंडारी, शांति बिंजोला, बीना बेंजवाल ने गढ़वाली कविताएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री बीना बेंजवाल ने किया।
कवि सम्मेलन में समिति की तरफ से उपाध्यक्ष महेशानंद डंडरियाल, संरक्षक सुरेन्द्र डंडरियाल, सुशील डंडरियाल, सुदेश डंडरियाल, दिनेश डंडरियाल, कांता प्रसाद प्रसाद डंडरियाल, दिनेश डंडरियाल, अशोक डंडरियाल, अनिल डंडरियाल, संतोष डंडरियाल, लक्ष्मी डंडरियाल एवं बड़ी संख्या में डंडरियाल परिवार के लोग शामिल रहे।
