
ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 5 मार्च 2025*
*⛅दिन – बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – बसन्त*
*🌥️अमांत – 22 गते फाल्गुन मास प्रविष्टि*
*🌥️राष्ट्रीय तिथि – 14 फाल्गुन मास*
*⛅मास – फाल्गुन*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – षष्ठी दोपहर 12:51 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र – कृतिका रात्रि 01:08 मार्च 06 तक, तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग- वैधृति रात्रि 11:07 तक तत्पश्चात विषकम्भ*
*⛅राहु काल – दोपहर 12:29 से दोपहर 01:55 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:40*
*⛅सूर्यास्त – 06:18*
*⛅दिशा शूल – उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:20 से 06:09 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:26 मार्च 06 से रात्रि 01:15 मार्च 06 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*⛅विशेष – षष्ठी को नीम का पत्ती फल या दातुन मुख में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है व सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹गार्हस्थ्य ब्रह्मचर्य🔹*
*🔸श्री मनु महाराज ने गृहस्थाश्रम में ब्रह्मचर्य की व्याख्या इस प्रकार की हैः*
*🔸अपनी धर्मपत्नी के साथ केवल ऋतुकाल में समागम करना, इसे गार्हस्थ्य ब्रह्मचर्य कहते हैं ।*
*🔸रजोदर्शन के प्रथम दिन से सोलहवें दिन तक ऋतुकाल माना जाता है । इसमें मासिक धर्म की चार रात्रियाँ तथा ग्यारहवीं व तेरहवीं रात्रि निषिद्ध है । शेष दस रात्रियों से दो सुयोग्य रात्रियों में स्वस्त्री-गमन करने वाला व्यक्ति गृहस्थ ब्रह्मचारी है ।*
*🔸इस प्रकार आहार, निद्रा व ब्रह्मचर्य का युक्तिपूर्वक सेवन व्यक्ति को स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन की प्राप्ति में सहायक होता है ।*
