ज्योतिष इंद्रमोहन डंडरियाल
*🌞~ वैदिक पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक – 23 सितम्बर 2024*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2081*
*⛅अयन – दक्षिणायन*
*⛅ऋतु – शरद*
*⛅ अमांत – 8 गते आश्विन मास प्रविष्टि*
*⛅ राष्ट्रीय तिथि – 2आश्विन मास*
*⛅मास – आश्विन*
*⛅पक्ष – कृष्ण*
*⛅तिथि – षष्ठी दोपहर 01:50 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र – रोहिणी रात्रि 10:07 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग – सिद्धि रात्रि 03:10 सितम्बर 24 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅राहु काल – प्रातः 07:39 से प्रातः 09:09 तक*
*⛅सूर्योदय – 06:06*
*⛅सूर्यास्त – 06:12*
*⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:41 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:07 से दोपहर 12:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 सितम्बर 24 से रात्रि 12:56 सितम्बर 24 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण – षष्ठी श्राद्ध, रोहिणी व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि), अमृत सिद्धि योग (रात्रि 10:07 से प्रातः 06:29 सितम्बर 24 तक)*
*⛅विशेष – षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹 कलह, धन-हानि व रोग-बाधा से परेशान हों तो…🔹*
*🔸 घर में कलहपूर्ण वातावरण, धन-हानि एवं रोग-बाधा से परेशानी होती हो तो आप अपने घर में मोरपंख कि झाड़ू या मोरपंख पूजा-स्थल में रखें ।*
*🔸 नित्य नियम के बाद मन-ही-मन भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करते हुए इस पंख या झाड़ू को प्रत्येक कमरे में एवं रोग-पीड़ित के चारों तरफ गोल-गोल घुमाये ।*
*🔸 कुछ देर ‘ॐकार ‘ का कीर्तन करें-करायें । ऐसा करने से समस्त प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है तथा ऊपरी एवं बुरी शक्तियों का प्रभाव भी दूर हो जाता है ।*
*🔹 होमियो तुलसी गोलियाँ🔹*
*🔸आज की दौड़-धूपभरी जिंदगी जीनेवालों के पास इतना समय कहाँ है कि वे शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान से पतितपावनी तुलसी का सेवन कर सकें । यह ध्यान में रखते हुए आश्रम के पवित्र वातावरण में उपजी सर्वरोगहारी तुलसी से होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति द्वारा छोटी-छोटी मीठी गोलियों के रूप में बनायी गयी हैं ।*
*🔹इनके नियमित सेवन से -*
*🔸 स्मरणशक्ति व पाचनशक्ति में वृद्धि ।*
*🔸 हृदयरोग, दमा, टी.बी., हिचकी, विष-विकार, ऋतु परिवर्तनजन्य सर्दी-जुकाम, श्वास-खाँसी, खून की – कमी, दंत रोग, त्वचासंबंधी रोग, सिरदर्द, प्रजनन व मूत्रवाही संस्थान के रोगों में लाभकारी ।*
*🔸 कुष्ठरोग, मूत्र व रक्त विकार आदि में लाभदायी । हृदय, यकृत (लीवर), प्लीहा व आमाशय हेतु बलवर्धक ।*
*🔸 बच्चों का चिड़चिड़ापन, जीर्णज्वर, सुस्ती, दाह आदि में उपयोगी ।*
*🔸 संधिवात, मधुमेह (डायबिटीज), यौन दुर्बलता, नजला, सिरदर्द, मिर्गी, कृमि रोग एवं गले के रोगों में – लाभदायी ।*
*🔸 भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है ।*
*🔸 हर आयुवर्ग के रोगी तथा निरोगी, सभीके लिए लाभदायी ।*
*🔸 कफ व वायु की विशेष रूप से नाशक । पित्त प्रकृतिवालों को सेवन करनी हो तो २-२ गोली सुबह-शाम आधा कप पानी में घोल के लें ।*
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