– डेढ़ साल पहले बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष ने दानदाता द्वारा केदारनाथ में 230 किलो सोना चढ़ाने की बात कही, जिसे बाद में 23 हजार ग्राम कहा जाने लगा
– मंत्री महाराज के ताजा बयान से फिर मामला गर्माया, गोदियाल ने पूछे सवाल, पीतल बना सोना, की जांच हो भी रही है या नहीं?
पहाड़ का सच देहरादून।
लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व केदारनाथ में चढ़ावे के रूप में मिले कथित 230 किलो सोना घोटाले का प्रकरण पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के सोशल मीडिया पर दिए गए एक बयान से फिर जिंदा हो गया है। बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने आरोप लगाया कि केदारनाथ में सोना नहीं बल्कि तांबा आया जिस पर सोने की पालिश की गई और ये कारनामा बीकेटीसी में शीर्ष पदों में बैठे लोगों और दानदाता की मिलीभगत से हुआ। उन्होंने पर्यटन व धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज के जांच संबंधी बयान पर भी सवाल उठाए हैं।
बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो जारी किया है। जिसमें उन्होंने टूरिज्म मिनिस्टर सतपाल महाराज के एक बयान पर पलटवार किया है। बकौल,गोदियाल, महाराज का कहना है कि कांग्रेस अनावश्यक इस मामले को तूल दे रही है। गोदियाल का कहना है कि जब केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों ने सोने की हकीकत बताई तो महाराज ने मुखर होकर कहा था कि उस प्रकरण की आयुक्त स्तर की जांच होगी। अब महाराज कह रहे हैं कि जांच शासन स्तर पर चल रही है। गोदियाल ने उपरोक्त प्रकरण पर महाराज से सवाल पूछे हैं और पब्लिक डोमेन पर इनका जबाव मिलने की उम्मीद की है।
सवाल एक: मंत्रालय महाराज के अधीन है, शासन में उनके अलावा कौन है जो सोना घोटाले की जांच बाहर नहीं आने देना चाहता है ?
सवाल दो: जब बीकेटीसी के अध्यक्ष का बयान आया कि कोई दानदाता केदारनाथ में चढ़ावे के रूप में 230 किलो सोना दान करना चाहता है जिसे बाद में 23000 ग्राम भी कहा गया, सुरक्षा एजेंसियों को भी लिखा गया, ये बयान महाराज के संज्ञान में हैं या नहीं?
सवाल तीन: चढ़ावे के कुछ ही दिनों बाद सोने का पीतल/तांबा में बदलने का मामला तीर्थ पुरोहितों ने उजागर किया,ये मामला महाराज के संज्ञान में है या नहीं?
गोदियाल ने कहा कि महाराज इस घोटाले पर पारदर्शी जांच कराने के बजाए कांग्रेस पर अनावश्यक रूप से इस प्रकरण को उछालने का आरोप लगा रहे हैं जबकि हकीकत पूरी दुनिया जानती है कि सोना आया ही नहीं जो आया वो सोने की पालिस लगा पीतल और तांबा था। गोदियाल ने सलाह दी कि महाराज एक बार जाकर खुद देख लें तो उनका भी भ्रम दूर हो जाएगा। इस बारे में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से संपर्क नहीं हो सका।