– आल वेदर रोड के प्रदेश में सड़क न होने के कारण चुनाव बहिष्कार करते हैं लोग
– हर घर नल,हर घर जल के दावे की भी पोल खुली
– 12 विधानसभाओं के 14 हजार लोगों के मतदान के बहिष्कार से सरकारी मशीनरी पर उठे सवाल
– स्थानीय मुद्दों की अनदेखी भी चुनाव पर पड़ी भारी
पहाड़ का सच देहरादून।
जो प्रदेश आल वेदर रोड से जुड़ गया हो, जहां हर घर नल ,हर घर जल का दावा किया जा रहा हो, ऐसे प्रदेश में सड़क और पेयजल के नाम पर मतदान का बहिष्कार हैरत में डालने वाला है।
प्रदेश में मतदान बहिष्कार से वन कानून की सच्चाई सामने आ गई है। राज्य में 25 से अधिक जगहों पर लोगों ने मतदान ही नहीं किया। इसकी सबसे बड़ी वजह सड़कों का न होना है। मतदान का बहिष्कार कर रहे क्षेत्र के लोगों की पेयजल समेत कुछ अन्य समस्याएं भी हैं।
राज्य में चकराता क्षेत्र के द्वार और विशलाड़ खत के 12 गांवों के ग्रामीणों ने मतदान नहीं किया। इसके अलावा चमोली जिले के आठ गांवों एवं पिथौरागढ़ के धारचूला में तीन मतदान केंद्रों पर मतदान नहीं हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता मोहन लाल सेमवाल ने बताया कि पहाड़ के कई गांवों में सड़क नहीं है। अन्य बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव बना हैं। सड़क न होने से कई बार डंडी- कंडी पर मरीजों को अस्पताल ले जाना पड़ता है। स्थानीय लोग पिछले 25 साल से सड़क की मांग कर रहे हैं।
इसके बावजूद गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। गांव तक सड़क न पहुंच पाने की एक वजह वन कानून भी है। वन भूमि हस्तांतरण के मामले लटके होने से गांव तक सड़क नहीं पहुंच पा रही है। इस तरह के भी प्रकरण हैं जिनमें गांवों के बीच सड़क को लेकर विवाद है।
गोपेश्वर चमोली निवासी देवेंद्र रावत बताते हैं कि जिले में आठ गांवों के ग्रामीणों ने बुनियादी सुविधाएं खासकर सड़क न होने की वजह से मतदान का बहिष्कार किया।
प्रदेश में 2024 तक राज्य सरकार की 741 विकास परियोजनाओं पर इसलिए काम शुरू नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इसमें वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इनमें सबसे अधिक 614 प्रस्ताव सड़कों के हैं, जबकि पेयजल के 47, सिंचाई के पांच, पारेषण लाइन के छह, जल विद्युत परियोजनाओं के दो, खनन के छह एवं अन्य के 61 मामले लंबित हैं। जिसमें 4,650 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित होनी है।
12 विधानसभा में 14 हजार मतदाता और वोट पड़े सिर्फ 481
सड़क,पुल, डामरीकरण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने दिखाया गुस्सा
75 प्रतिशत मतदान के दावे की भी खुली पोल
पौड़ी व टिहरी लोकसभा की 12 विधानसभा के 14 हजार से अधिक मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया। इन दोनों लोकसभा के पौड़ी, चमोली रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी व देहरादून जिले के 29 बूथ में 10 पर मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया गया।
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र पौड़ी, यमकेश्वर, चौबट्टाखाल, थराली, कर्णप्रयाग, केदारनाथ, पुरोला, गंगोत्री प्रताप नगर, धनोल्टी, मसूरी, चकराता के 14562 मतदाताओं में 481 ने मत डाले। इनमें भी करीब 54 EDC ने मताधिकार का प्रयोग किया।
इन क्षेत्रों में करीब 20,500 से अधिक जनसंख्या लम्बे समय से सड़क,पुल, डामरीकरण की मांग को लेकर आंदोलित हैं। बीते कई सालों से धरना प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों को अपना गुस्सा भी दिखाया। हालांकि, प्रशासन ने इन ग्रामीणों को मतदान केलिए मनाने की कोशिश भी की। लेकिन मतदाताओं ने मतदान केंद्र का रुख करने से परहेज किया।
इधर,निर्वाचन आयोग का भी मतदान जागरूकता कार्यक्रम मुख्य तौर पर शहरी इलाकों तक ही सीमित रहा। मीडिया व जमीनी स्तर पर व्यापक प्रचार प्रसार की भारी कमी देखी गयी।
शैक्षणिक संस्थाओं व सरकारी कर्मचारियों को शपथ दिलवा कर 75 प्रतिशत मतदान का नारा दे डाला। लेकिन ग्रामीण इलाकों की बरसों बरस से जायज समस्याओं को समय रहते नहीं सुलझाया गया।
उत्तराखण्ड में इस बार मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले काफी गिरा है। राजनीतिक दलों के अलावा सरकारी अमले के लिए पर्वतीय राज्य वोटर की उदासीनता एक गम्भीर खतरे की ओर भी इशारा कर रही है।
तुलनात्मक मतदान प्रतिशत
लोस 2024-2019
टिहरी: 52.57%, 58.87%
पौड़ी: 50.84% 55.17%
हरिद्वार: 62.36% 69.24%
अल्मोड़ा : 46.94% 48.78%
नैनीताल: 61.35 % 66.39%
लोकसभा चुनाव का मत प्रतिशत
2004- लोकसभा चुनाव-कुल मतदान-48.07%
2009- लोकसभा चुनाव -कुल मतदान-53.43%
2014- लोकसभा चुनाव- कुल मतदान- 61.67%
2019- लोकसभा चुनाव- कुल मतदान- 61.88%
2024- लोकसभा चुनाव-कुल मतदान-55.89%