– बीमार महिला को परिजनों ने पीठ पर उठाकर मोबाइल और लालटेन की रोशनी में छह किमी जंगल का रास्ता पारकर सड़क तक पहुंचाया।
पहाड़ का सच उत्तरकाशी।
जनपद के पुरोला ब्लॉक के अनुसूचित जाति बाहुल्य कामरा गांव के लोग उत्तराखंड बनने के 24 साल बाद भी सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधा से पूरी तरह से वंचित हैं।
वहीं बीती रात सड़क के अभाव में गांव की एक बीमार महिला को परिजनों ने पीठ पर उठाकर मोबाइल और लालटेन की रोशनी में छह किमी जंगल का रास्ता पारकर सड़क तक पहुंचाया। जहां से महिला को 108 वाहन के जरिए सीएचसी नौगांव में भर्ती कराया गया।
जानकारी अनुसार बीते दिन कामरा गांव की सरोज पत्नी प्रकाश उम्र 25 वर्ष का स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया। जिस पर परिजनों ने बीमार सरोज को कंडी के सहारे कंधों पर उठा कर मोबाइल और लालटेन की रोशनी के सहारे छह किमी लंबा जंगली रास्ता पारकर घरसाड़ मोटर मार्ग तक पहुंचाया। उसके बाद बीमार महिला को 108 वाहन के जरिये 18 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नौगांव में भर्ती करवाया गया।
इस प्रक्रिया में परिजनों को करीब तीन से चार घंटे लग गए। महिला की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर देहरादून रेफर कर दिया। डेढ़ माह के अंदर यह चौथी घटना है। जब बीमार व्यक्ति को कंडी के सहारे घरसाड़ मोटर मार्ग तक पहुंचाने के बाद नौगांव अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
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ग्राम प्रधान कामरा जगदीश कुमार ने बताया कि वह स्वयं बीमार महिला के साथ थे, रात को रास्ते मे जंगली जानवरों का भी भय बना हुआ था। बीमार महिला को मोबाइल और लालटेन की रोशनी के सहारे मोटर मार्ग तक पहुंचाना पड़ा, गांव तक सड़क होती तो यह सब परेशानी नहीं उठानी पड़ती। डेढ़ माह में ऐसी चार घटनाएं हो चुकी हैं। बावजूद गांव को सड़क से जोड़ने के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
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