पहाड़ का सच/एजेंसी
मनोज श्रीवास्तव
आगरा। एक मां जो करोड़ों की मालकिन है, सुखी संपन्न चार बेटे हैं, लेकिन घर में जगह नहीं है। जिन बेटों को पैदा किया उन्होंने ही मार पीट कर घर से बाहर कर दिया। अब बुजुर्ग मां वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है। इस माँ की लाचारी देखकर एक फिल्म कर डायलॉग याद आ गया ” न मेरे पास पैसा है, न बंगला है और न बैंक बैलेंस, पर मेरे पास मां है। जिसमें एक्टर द्वारा इन लाइनों के जरिये ये बताने की कोशिश की गई कि अगर कुछ भी न हो और मां साथ मैं हो तो सारी जन्नत मिल सकती है।
ये पूरा मामला उत्तर प्रदेश के आगरा का है, जंहा एक लाचार बुजुर्ग मां अपने चार-चार कारोबारी बेटों के होने के बाद भी वृद्धाश्रम में अपना जीवन बसर करने को मजबूर है। कलयुगी बेटों ने जमीन जायदाद के लालच में न सिर्फ अपनी मां को मारा पीटा बल्कि उन्हें घर से बाहर निकाल कर वृद्धाश्रम की दहलीज तक पहुंचा दिया। ये कहानी आगरा की एक पॉश कालोनी कमला नगर की। यहां की रहने वाली विद्या देवी के चार बेटे हैं। चारों बेटे आर्थिक रूप से बेहद संपन्न हैं. उनका लोहे का कारखाना है। मगर, करोड़पति चार बेटों की मां इन दिनों वृद्धाश्रम में अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं। विद्या देवी अपने बेटों से इस कदर आहत है कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर वो मर भी जाएं तो इसकी खबर उनके बेटों को न दी जाए।
86 साल की विद्या देवी का आगरा की पॉश कालोनी कमला नगर में खुद की आलीशान कोठी है। लगभग 13 साल पहले उनकी पति की अचानक मृत्यु हो गई थी। पति की मौत के बाद मां ने सोचा कि अब उसके चार बेटे ही उसका सहारा बनेंगे। यही वजह रही कि पति की मौत के बाद मां ने बेटों की फैक्ट्री खुलवाई। उनकी शादी करवाई और इस लायक बनाया कि सभी बेटे समाज में अपना नाम कर सकें। लेकिन इस मां ने सोचा भी नहीं था कि जिन बेटों को वो अपने बुढ़ापे की लाठी समझ रही थी, वहीं बेटे उसे वृद्धाश्रम की दहलीज तक पहुंचा देंगे। आज विद्या देवी चार बेटे होने के बाद भी वृद्धाश्रम में रहकर गुजारा कर रही हैं। बुजुर्ग मां विद्या देवी कहती है कि उसने एक बेटे को टै्क्टर्स के पार्ट की फैक्ट्री खुलवाई और अन्य तीन बेटों को खुद की बहुमंजिला इमारत बनाकर सौंपी. चारों बेटों के पास धन की कमी नहीं है, लेकिन अफसोस कि इन चारों के दिल में मां के लिए कोई जगह नहीं है।
विद्या देवी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व बेटों और उनकी पत्नियों ने उन्हें घर से निकाल दिया। जिन बच्चों को उन्होंने इतने प्यार से पाला, अब उन्हीं के बेटों को अपनी मां से बदबू आती है। पीड़ित मां आंखों में आंसू लिए कहती है कि सबसे पहले बडे़ बेटे ने उनसे घर और फैक्ट्री अपने नाम करवा ली, फिर मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया।
आश्रम के संचालक शिव प्रसाद शर्मा का कहना है कि कुछ दिन पूर्व बुजुर्ग महिला की बहन शशि गोयल उन्हें लेकर आई थी। इनके चार बेटे हैं जो आर्थिक रूप से बेहद संपन्न हैं। सभी की फैक्ट्री और कोठियां हैं. और उनका एक बेटा तो वैश्य समाज का नेता भी है। उसके बावजूद भी ये मां हमारे यहां पर रह रही है। हमने इनके परिवार वालों से संपर्क भी किया, लेकिन परिवारीजन उल्टे वृद्धाश्रम से कहते रहे कि आप हमें बदनाम कर रहे हैं, लेकिन किसी ने भी मां को अपने साथ ले जाने की बात नहीं की। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर आज के युवा ये कब समझेंगे कि कभी वो भी बुढ़ापे की दहलीज पर पहुचेंगे। अगर उनके बच्चे भी उनके साथ यहीं व्यवहार करेंगे तो उन पर क्या गुजरेगी? काश आज के समाज को ये बात समझ आ जाए तो किसी भी मां को वृद्धाश्रम में शरण नहीं लेनी पड़ेगी।