– ‘‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर ‘‘ कृत्रिम मेधा’’ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के युग में मीडिया’’ विषय पर जिला सूचना कार्यालय में गोष्ठी
पहाड़ का सच देहरादून।
भारतीय प्रेस परिषद नई दिल्ली के निर्देशों के क्रम में ‘‘राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर ‘‘ कृत्रिम मेधा’’ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के युग में मीडिया’’ विषय पर जिला सूचना कार्यालय में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए सहायक निदेशक/जिला सूचना अधिकारी बद्री चन्द्र नेगी ने कहा कि इस आधुनिक युग में जहां प्रत्येक क्षेत्र में तकनीकि का उपयोग बढा है वहीं पत्रकारिता भी इससे अछूती नही रही है। उन्होंने कहा किसी भी तकनीकि का उपयोग मानव जीवन को सरल बनाने के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि तकनीकि के अच्छे और बुरे दोनो पहलू होते हैं किन्तु यह हमारे उपयोग पर निर्भर है कि हम तकनीकि को किस रूप में उपयोग करतेे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी यह सोच एवं विचार होना चाहिए कि हम तकनीकि के दुरूपयोग से बचें तथा इसका सदुपयोग करते हुए हम संघर्ष को कम कर सकते है।
नेगी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमे किसी भी सूचना के सम्वाहक में काफी मदद देती है, लेकिन इसमें संवेदना/ भावना के अभाव के कारण इसके दुरूयोग से नकारा भी नही जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार हरीश जोशी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि तकनीकि का उपयोग मानव क्षमता को बढाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा विज्ञान है जिससे मानव के विचार और फ़ैसला लेने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि गोपनीयता भंग होने तथा इसके दुरूपयोग की आशंका भी बनी रहती है। तकनीकि का उपयोग सीखना आवश्यक है, इसके लिए अपने जूनियर जो तकनीकि में दक्ष हैं से अद्यतन तकनीक सीखने में किसी प्रकार का संकोच नही होना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीकि को व्यवहारिक रूप से लें इसका उपयोग सलेक्टैड न हो। समाचार पत्र के पीडीएफ को भी विभागीय अभिलेखों में देखा जाए। जिस पर जिला सूचना अधिकारी ने उचित स्तर पर रखने की बात कही।
वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम चन्द्र जोशी ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का पूर्ण इतिहास बताते हुए कहा कि इसका प्रयोग मानवश्रम को कम करने तथा डेटा/सूचनाओं को तथ्यात्मक रूप से संकलित/सरंक्षित करने के लिए किया गया है। जहां इसके सरकारात्मक पहलू है वंही इसके नकरात्मक पहलू हैं भी है। मीडिया जगत में जहां पहले मौके पर जाकर तथ्यात्मक समाचार संकलित होते हैं वहीं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दौर में खबरों के तथ्यात्मक रहने पर भी प्रश्चचिन्ह लगते है इसका उपयोग सतर्कता से करने की आवश्यकता है।
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वरिष्ठ पत्रकार संजय पाठक ने कहा कि वर्तमान युग में में तकनीकि पर अधिक निर्भर हो रहे हैं यह हमारी जीवन को आसन बनाता है तथा आने वाले 20-30 साल में तकनीकि का ही युग होगा इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सजृन होंगे। तकनीकि का उपयोग सावधानी पूर्वक करना आवश्यक है।
वरिष्ठ पत्रकार गोपाल सिंघल ने कहा कि मनुष्य की सोच प्रकृति पर विजय पाने की है किन्तु अत्यधिक तकनीकि का उपयोग तथा प्रकृति से छेड़छाड़ के दुष्परिणाम भी है, जिससे बचना जरूरी है।
वरिष्ठ पत्रकार चेतन खड़का ने कहा कि पत्रकार को तकनीकी के तौर पर अपडेट रहना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सकारात्मक प्रयोग करने की भी आवश्यकता है, जिससे तकनीकि का दुरूपयोग न हो इसके लिए भी सचेत रहने की आवश्यकता पर बल दिया।
पत्रकार मो. शाहनजर ने कहा कि तकनीकि के सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनो ही पहलू हैं। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश की चुनौतियों पर मंथन करने पर बल दिया।
वरिष्ठ पत्रकार सुभाष कुमार ने कहा कि तकनीकि का सदपुयोग किया जाए तो तकनीकि एक वरदान से कम नही है किन्तु हमें अपने आचरण में शुद्धता रखकर इसके दुरूपयोग से बचा जा सकता है। युवा पत्रकार स्वनिल सिन्हा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आधुनिक पत्रकारिता में तकनीक को नजर अंदाज नही किया जा सकता है तकनीकि को साथ लेकर चलना पड़ेगा किन्तु तकनीक मानव का स्थान लेता जा रहा है जो कि एक सोचनीय विषय है।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार नवीन घिल्डियाल, बिजेन्द्र यादव, संदीप शर्मा, दीपक धीमान, छोटे लाल, मोहनसिंह खालसा आदि पत्रकारगणों ने अपने विचार रखे। गोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार हरीश जोशी, सुरेन्द्र अग्रवाल, संजय पाठक, गोपाल सिंघल, गिरधर गोपाल लुथरा, आलोक शर्मा, सुभाष नौटियाल, घनश्याम चन्द्र जोशी, नवीन घिल्डियाल, मौ शाहनजर, चेतन खड़का, रोहित गुप्ता, दीपक धीमान, बिजेन्द्र यादव, स्वपनिल सिन्हा, मोहन सिंह खालसा, धर्मपाल सिंह रावत, संदीप शर्मा, वेद प्रकाश अग्रवाल, रमन जायसवाल, मोहित कुमार, जगमोहन सिंह मौर्य, छोटेलाल आदि पत्रकारगण उपस्थित रहे।