– धर्मान्तरण की आशंका, उत्तराखंड के मदरसों में 749 गैर मुस्लिम बच्चे, RTE भी सवालों के घेरे में
– राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने 9 नवंबर को प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को तलब किया
– मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चे होना भाजपा का हिंदुत्व का नया मॉडल: कांग्रेस
पहाड़ का सच,देहरादून।
राज्य के मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों के बारे में उत्तराखण्ड मदरसा शिक्षा परिषद के निदेशक/ उप रजिस्ट्रार की ओर से जारी सूचना के बाहर आते ही हलचल मची है। इस सूचना के बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने राज्य के प्रमुख सचिव समाज कल्याण को दिल्ली तलब किया है, किंतु राज्य बाल संरक्षण आयोग के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
मदरसों में पढ़ रहे 749 गैर मुस्लिम बच्चों के खुलासे के बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने 9 नवंबर की शाम 4 बजे प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एल फेनई को दिल्ली तलब किया है। इधर, मदरसों में गैर मुस्लिम छात्रों की संख्या को देखते हुए निर्धन बच्चों के लिए राइट टू एजुकेशन ( RTE) नीति भी कठघरे में दिख रही है। RTE के तहत अंग्रेजी माध्यम व बेहतर विद्यालयों में निर्धन छात्रों के कोटे के तहत प्रवेश मिलता है।
हरिद्वार, यू एस नगर व नैनीताल जिले में स्थापित 30 मदरसों में कुल 7399 छात्रों में लगभग 749 छात्र गैर मुस्लिम होने से RTE पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। मदरसा शिक्षा परिषद का कहना है कि ये बच्चे अपने अभिभावकों की अनुमति से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड के मैदानी व तराई इलाके में स्थापित इन 30 मदरसों में अध्ययनरत ये बच्चे ग़रीब परिवारों से है । यह सवाल भी उठ रहा है कि अगर शिक्षा के अधिकार क़ानून का पालन ठीक से होता तो ये निर्धन छात्र मदरसों में जाने को मजबूर नहीं होते।इस पूरे मामले में धर्मांतरण की आशंका भी उठ रही है। भाजपा सरकार में इस मामले की पूरी जांच के बाद ही साफ हो सकेगा कि कहीं धर्मांतरण के बाद ही इन बच्चों को मदरसे में दाखिला तो नहीं मिला। या फिर गरीबी की वजह से ही गैर मुस्लिम बच्चे मदरसों में पढ़ने गए।
इस खुलासे के बाद शिक्षा, अल्पसंख्यक विभाग व राज्य बाल संरक्षण आयोग में हलचल मची हुई है। कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर हिंदूवादी नीति को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। इस मुद्दे पर शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत से बात नहीं हो पाई।
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि गैर मुस्लिम बच्चों का मदरसों में पढ़ना इस बात का प्रमाण है कि सरकारी नीति अथवा सरकार की निगरानी रखने वाली एजेंसी में कमी है। उन्होंने राज्य बाल संरक्षण आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। जोशी ने कहा कि राज्य बाल संरक्षण आयोग में शीर्ष पदों पर बैठे लोग वहां दलगत राजनीति से प्रेरित होकर काम कर रहे हैं। पूर्व में वायरल हुआ एक वीडियो सबने देखा है। कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि मदरसों में शिक्षा या तो मदरसा बोर्ड या वक्फ बोर्ड के माध्यम से प्रदान की जाती है । यह दोनों ही सरकार के अधीन है । ऐसे में यदि प्रदेश में ऐसे हालात उत्पन्न हो गए हैं कि गैर मुस्लिम परिवारों को अपने बच्चे मदरसों में पढ़ाई के लिए भेजने पड़ रहे हैं तो निश्चित रूप से यह उत्तराखंड सरकार के लिए आत्म अवलोकन का समय है। प्रवक्ता ने कहा कि यह उत्तराखंड भाजपा का नया हिंदुत्व मॉडल है।
दसौनी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत को तलब करें । दसौनी ने कहा कि भाजपा के दावे और ज़मीनी हक़ीक़त में बड़ा अंतर है। राज्य में पिछले सात सालों से भाजपा का शासन है और हिंदुत्व की बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं वहां यह नया खुलासा निश्चित रूप से सरकार की स्थिति और राज्य की शिक्षा व्यवस्था बताने के लिए काफी है।