पहाड़ का सच, उत्तरकाशी
जनपद उत्तरकाशी के पुरोला वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा मरम्मत के नाम पर सरकारी पैसे को ठिकाने लगाने का मामला सामने आया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पुरोला स्थित गोविंद वन्यजीव विहार व राष्ट्रीय पार्क की सुपिन रेंज में वन विश्राम गृहों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये का हेरफेर कर सरकारी धन की बंदरबांट की गई है। यहां पर तैनात तत्कालीन अधिकारियों ने रेस्ट हाउस के रिनोवेशन के नाम पर दरवाजे, खिड़की, पल्ले और अलमारी तक का पैसा हजम कर लिया।
वर्ष 2021 में हुए इस प्रकरण की जांच भी की गई थी, परंतु उच्च अधिकारियों ने अपने चहेतों को बचाने के चक्कर में आंखें मूंद ली थी। तत्कालीन उप निदेशक डीपी बलूनी द्वारा एक शिकायत के बाद रेंज में हुए कार्यों का निरीक्षण भी करवाया गया। निरीक्षण की जिम्मेदारी तत्कालीन वन क्षेत्राधिकारी ज्वाला प्रसाद, वन दरोगा राजेंद्र सिंह, हरीश और दिनेश सिंह को सौंपी गई थी। इस टीम ने रेंज में हुए करीब 60% कार्यों की जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
सुपिन रेंज के अंतर्गत जखोल फॉरेस्ट रेस्ट हाउस की रिनोवेशन के लिए ठेकेदार को ₹4 लाख का भुगतान किया गया था। परंतु जांच में पाया गया कि मौके पर तो काम हुए ही नहीं हैं, लेकिन भुगतान किया हुआ दिखाया गया है। जैसे रेस्ट हाउस में रंगरोगन, पानी की फिटिंग,दरवाजे, खिड़की, अलमारी आदि को बदलना एवं लाइट फिटिंग, शौचालयों का सुधारीकरण जैसे काम शामिल हैं। कुल 20 कार्यों के लिए भुगतान किया गया, जबकि 11 काम या तो हुए ही नहीं, या फिर आधे-अधूरे किए गए थे। इस तरह से तत्कालीन वन अफसरों ने बिना काम के ठेकेदार को भुगतान कर सरकारी धन को ठिकाने लगाने का काम किया।
सुपिन रेंज के तहत वन विश्राम गृह नैटवाड़ के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस की रिनोवेशन के नाम पर 4 लाख रूपए लगाना दिखाया गया है। जिला योजना के तहत जारी हुए इस पैसे का भुगतान भी बिना काम किए हुए या आधे-अधूरे काम के कर दिया गया। इस मामले में तो मापन पुस्तिका ( MB) ही गायब कर दी गई। परंतु इस पर ना तो कोई कार्रवाई की गई ना ही कोई FIR तक दर्ज कराई गई। यहां वन विश्राम गृह की मरम्मत के नाम पर दो लाख रुपये और दीवार पर एंगल लगाने के नाम पर दो लाख रुपये कुल चार लाख रुपये ठिकाने लगा दिए गए।
डॉ. साकेत बडोला, वन संरक्षक व निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व का कहना है कि, यह मामला दो साल पुराना होने के चलते संज्ञान में नहीं है। लेकिन इस बारे में संबंधित अधिकारियों से जानकारी जुटाई जा रही है और यदि बिना कार्यों के अनुचित ढंग से भुगतान किया गया है तो इसकी जांच कराई जाएगी।