पहाड़ का सच, देहरादून
उत्तराखंड के संरक्षित वन क्षेत्रों में भी अवैध मजारे मिलने से पिछले दिनों उत्तराखंड की राजनीति खासी गर्म दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तो सीधे तौर पर अधिकारियों को उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी जारी कर दिए थे। इन स्थितियों के बीच वन विभाग ने आईएफएस अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते को अवैध धार्मिक निर्माण पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए नोडल अधिकारी बनाया है। हालांकि अभी इस पर प्रदेशभर की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
क्योंकि इस पूरे मामले में सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिरकार जंगलों के अंदर अवैध निर्माण कैसे कर दिए गए। इसी को लेकर फिलहाल वन विभाग तीन तरह से काम कर रहा है। इसमें पहला प्रदेश भर से अवैध धार्मिक निर्माण के असल आंकड़े को पता लगाना है। जिसके लिए नोडल अधिकारी तैनात किया गया है। दूसरा ऐसे अवैध धार्मिक निर्माणों पर निगरानी का काम भी किया जाएगा। जिसके लिए पहली बार उत्तराखंड वन विभाग राज्य के संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन के जरिए निगरानी करेगा।
जंगलों में ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन की व्यवस्था की गई है। जिसमें अब आसमान से ऐसे क्षेत्रों की निगरानी की जा सकेगी। वन विभाग की तरफ से इस मामले में तीसरा प्रयास सेटेलाइट मैपिंग के जरिए अवैध धार्मिक निर्माण के समय को पता लगाना भी है। इसके जरिए अब यह पता चल पाएगा कि कौन सा निर्माण किस समय किया गया था। खास बात यह है कि इसके जरिए उस दौरान उस वन क्षेत्र में तैनात अधिकारी का भी पता चल सकेगा और ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों को चिन्हित करके उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकेगी। बता दें कि राज्य में फिलहाल वन विभाग की तरफ से जो सर्वे किया गया था उससे कहीं ज्यादा अवैध धार्मिक निर्माण वन क्षेत्रों में होने की बात कही जा रही है।
खबर तो यह भी है कि जिस तरह मुख्यमंत्री ने इस मामले में अपना सख्त रुख अपनाया है और अब जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की भी तैयारी की जा रही है। उसके बाद कई अधिकारी अपने वन क्षेत्रों में अवैध धार्मिक निर्माणों को ध्वस्त करने में जुट गए हैं। बहरहाल अब तकनीक का उपयोग धार्मिक अवैध निर्माण को लेकर किया जा रहा है, साथ ही जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है।