पहाड़ का सच,देहरादून।
देहरादून के उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में गड़बड़ियों को लेकर हुई विजिलेंस जांच मैं अब तेजी आने लगी है। इस मामले में विजिलेंस न केवल विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों की फाइलें खंगाल रही है, बल्कि यहां हुए कंस्ट्रक्शन और इसमें हुई अनियमितताओं पर भी जांच तेज कर चुकी है। बड़ी बात यह है कि जल्द ही विश्वविद्यालय के कुछ बड़े अधिकारियों के कानूनी शिकंजे में फंसने की संभावना है।
वैसे तो उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय हमेशा से ही विवादों में रहा है। यहां होने वाली तमाम नियुक्तियों से लेकर विभिन्न खरीद और कंस्ट्रक्शन पर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। पर अभी तक सब कुछ दबाया जाता रहा है।
लेकिन इस बार सरकार ने मामले पर विजिलेंस जांच के आदेश कर अपनी सख्ती को जाहिर कर दिया है। स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय में हुई गड़बड़ियों को लेकर न केवल विजिलेंस अब तक तमाम फाइलों को खंगाल चुकी है, बल्कि प्राथमिक जांच को भी पूरा कर चुकी है। बड़ी बात यह भी है कि विजिलेंस ने गड़बड़ियों के सामने आने के बाद मामले में मुकदमा भी दर्ज कर लिया है। हालांकि यह मुकदमा अभी अज्ञात में दर्ज हुआ है, लेकिन जांच आगे बढ़ने के साथ गड़बड़ियों पर नामजद मुकदमे हो सकते हैं।
मिली जानकारी अनुसार आयुर्वेद विश्वविद्यालय में करीब 4 करोड़ के निर्माण कार्य हुए हैं। इनमें विजिलेंस को कुछ अनियमितताएं मिली हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय में बनाए गए कॉरपस फंड को तोड़कर भी कुछ निर्माण किए गए। यही नहीं यहां हुई कुछ नियुक्तियों पर भी नियमों का पालन नहीं किए जाने की बात सामने आई है। जाहिर है कि तमाम पहलुओं पर विजिलेंस की टीम जांच में जुटी हुई है। मुकदमा होने के बाद अब इन सभी विषयों पर अपने अधिकार का गलत उपयोग करने वाले अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है।