
– राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने की कार्रवाई
– लाखों के बिल भी फर्जी, डॉक्टर के साइन भी फर्जी
पहाड़ का सच,देहरादून।
विकासनगर के जीवनगढ़ के कालिंदी अस्पताल ने एक डॉक्टर के फर्जी हस्ताक्षर से योजनाओं के तहत क्लेम मांगा। जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने अस्पताल की सूचीबद्धता खत्म कर दी है। साथ ही अस्पताल पर अलग से विधिक कारवाई की जा रही है।
विकासनगर के कालिंदी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के समक्ष मुफ्त इलाज के 243 मामलों का क्लेम मांगा था। इनमें 173 मामले यूरोलॉजी स्पेशलिटी, 48 मामले जनरल मेडिसिन स्पेशलिटी और 22 मामले जनरल सर्जरी स्पेशलिटी के थे। इन सभी में डॉ. एचएस रावत के नाम व हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया था।
शिकायत मिलने पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कालिंदी अस्पताल को निलंबित कर उसके चेयरमैन सतीश कुमार जैन को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। नोटिस का जवाब देते हुए चेयरमैन ने कहा था कि हस्ताक्षर डॉ. एचएस रावत के ही हैं। मामले की गहराई से पड़ताल की गई तो पता चला कि अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के जो मामले दिखाए थे, उनमें डॉ. रावत के बजाय किसी और के हस्ताक्षर थे।की गहराई से पड़ताल की गई तो पता चला कि अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के जो मामले दिखाए थे, उनमें डॉ. रावत के बजाय किसी और के हस्ताक्षर थे।
डॉ. एचएस रावत ने लिखित रूप से बताया कि जो भी क्लेम किए गए हैं, उनमें न उनकी हैंडराइटिंग है और न ही हस्ताक्षर। प्राधिकरण ने कहा लगता है कि गलत तरीके से मरीजों की जान से खिलवाड़ कर ऑपरेशन किए गए हैं। नियमानुसार डॉ. रावत का नाम प्राधिकरण की ओर से उपलब्ध कराए गए पोर्टल पर पंजीकृत होना चाहिए था जो कि नहीं था। इस पर प्राधिकरण ने अस्पताल की सूचीबद्धता तत्काल समाप्त कर उसका इंपेनलमेंट खत्म कर दिया है। अब यहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना और राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत निशुल्क इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी। प्राधिकरण के अपर निदेशक अतुल जोशी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।
