पहाड़ का सच/एजेंसी
नई दिल्ली। कोरोना काल में भारत सरकार ने अपने देश के लोगों की जान के साथ-साथ अन्य कई देशों के लोगों की जान को भी बचाया। भारतीय टीकाओं ने पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को रोकने में अहम भूमिका निभाई. इसी कड़ी में भारत सरकार के फैसलों को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें सरकार के कदमों को सही ठहराया गया है। भारत में टीकाकरण अभियान चलाकर 34 लाख से अधिक जिंदगियां बचाने में सफलता मिली। इसके अलावा समय-समय पर उठाए गए अन्य कदमों की वजह से देश को 18.3 अरब डॉलर के नुकसान से भी बचाया जा सका।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट हीलिंग द इकोनॉमीः एस्टीमेटिंग द इकोनॉमिक ऑफ इंडियाज वैक्सीनेशन एंड रिलेटेड मेजर्स में इस तथ्य का खुलासा हुआ है. शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने स्टैनफोर्ड में आयोजित ‘द इंडिया डायलॉग’ सम्मेलन में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से शामिल होकर इस रिपोर्ट को जारी किया है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में पहले लाकडाउन से लेकर टीकाकरण तक और इस बीच कृषि, एमएसएमई, गरीब, मजदूर और अन्य वर्ग के लोगों के लिए समय-समय पर जारी पैकेज के प्रभावनों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि रिपोर्ट में कोरोना को लेकर भारत की रणनीति की समीक्षा की गई है. इसमें भारत में सही समय पर लगाए गए लॉकडाउन की तारीफ की गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 11 अप्रैल 2020 तक भारत में कोरोना मामलों की संख्या केवल 7500 तक ही पहुंची. लेकिन बिना लॉकडाउन के यह संख्या करीब 2 लाख तक पहुंच सकती थी. लॉकडाउन के लागू होने से भी दो लाख लोगों को मौत से बचा लिया गया।
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि लॉकडाउन के चलते एक लाख लोगों की जान बचाई गई थी. अगर देश में लॉकडाउन न लगाया होता तो 11 अप्रैल 2020 तक कोरोना मामलों की संख्या 200,000 तक होती. रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली लहर में पीक पर पहुंचने के लिए भारत ने 175 दिन लिए. जबकि रूस, कनाडा, फ्रांस, इटली और जर्मनी में केवल 50 दिनों में कोविड के मामले पीक पर पहुंच गए थे।