पहाड़ का सच/एजेंसी
तुर्की-सीरिया में आए विध्वसंक भूकंप के चलते 41 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 9 दिन से लोग मलबों में दबे हुए हैं। दुनिया भर से आए बचावकर्मी लगातार लोगों को ढूंढने में जुटे हुए हैं। हालांकि स्थिति भयावह होने के चलते मदद हर किसी तक तत्काल नहीं पहुंच पा रही है। हजारों घर इस खतरनाक भूकंप में जमींदोज हो गए है।
तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि 100 साल पहले देश की स्थापना के बाद से यह अब तक की सबसे गंभीर आपदा है। तुर्किये के शहर एर्जिंकन में 1939 में आए शक्तिशाली भूकंप में लगभग 33,000 लोग मारे गए थे। एर्दोआन ने कहा कि छह फरवरी को आए भूकंप और उसके बाद आए कई झटकों के परिणामस्वरूप 1,05,505 लोग घायल हो गए। राष्ट्रपति ने भूकंप को ‘सदी की आपदा’ बताते हुए कहा कि 13,000 से अधिक लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं।
राहत एजेंसी एएफएडी के मुख्यालय में आयोजित पांच घंटे की कैबिनेट बैठक के बाद अंकारा में एर्दोआन ने कहा कि 47,000 इमारतें या तो जमींदोज हो गईं या बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गईं। वहीं सीरियाई अधिकारियों ने कहा है कि सीरिया में कम से कम 5,800 लोग मारे गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है. क्योंकि अभी तक मलबों के नीचे लोग दबे हुए हैं।
बचावकर्मी लोगों को बचाने में जी-जान से जुटे हुए हैं। वहीं कुदरत के करिश्मे के चलते अब भी लोगों को मलबों के भीतर से जिंदा निकाला जा रहा है। बता दें कि बीते 6 फरवरी को तुर्की-सीरिया में तीन भूकंप आए थे, जिसके चलते हजारों लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग घायल हो गए। बड़े पैमाने पर भूकंप आने के एक हफ्ते से अधिक समय बाद मंगलवार को तुर्की में मलबे से नौ बचे लोगों को बचाया गया।