
– अगले पच्चीस साल के लिए बनेगी राज्य में औद्योगिक विकास की नई कार्ययोजना

– उद्योगों को नियमित रूप से निर्बाध बिजली की सुविधा मुहैया कराई जाए
– मुख्य सचिव ने सिडकुल की तमाम परिसंपत्तियों का ब्यौरा तलब किया
– विनय शंकर पांडे हैं सचिव औद्योगिक विकास व सौरभ गहरवार प्रबन्ध निदेशक
पहाड़ का सच देहरादून। राज्य से जुड़े अहम मसलों पर केन्द्रीय मंत्रालय के आला अधिकारियों से वार्ता के बाद सचिव आनन्द बर्द्धन ने शनिवार को देहरादून में सिडकुल के आला अधिकारियों की बैठक ली। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि मैदानी क्षेत्रों की तरह पर्वतीय क्षेत्रों में भी औद्योगिक विकास की संभावनाएं तलाशी जाएं। उन्होंने औद्योगिक विकास के लिए अगले पच्चीस साल की कार्ययोजना को अमल में लाए जाने की अनिवार्यता के साथ अधिकारियों से सिडकुल की परिसंपत्तियों का ब्यौरा तलब किया।

मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन अध्यक्षता में स्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लिमिटेड (सिडकुल) के निदेशक मंडल की बैठक आयोजित हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने आगामी पच्चीस सालों की आवश्यकताओं और संभावनाओं का ध्यान राज्य में औद्योगिक विकास के नए दौर का सूत्रपात करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने गहनता से अध्ययन कर राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में विद्यमान संभावनाओं के अनुरूप विशिष्ट औद्योगिक ‘हब‘ विकसित किए जाने के निर्देश देते हुए कहा की पर्वतीय क्षेत्रों के औद्योगिक विकास के लिए भी उपयुक्त संभावनाओं को तालाशा जाय।
सिडकुल मुख्यालय में आयोजित सिडकुल के निदेशक मंडल की 67वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य के उद्योगों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं व सहूलियतें उपलब्ध कराने के लिए उद्योग विभाग सहित अन्य संबंधित विभागों को प्रो-एक्टिव होकर कार्य करना होगा। औद्योगिक विकास की राह में आने वाली किसी भी अड़चन को दूर करने के लिए तत्परता से कार्य किया जाय। उद्योगों को बेहतर माहौल देने के साथ ही बिजली की पर्याप्त एवं निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने पर भी विशेष ध्यान दिया जाय।

मुख्य सचिव ने हरिद्वार में नव निर्मित फ्लैटेड फैक्टरी में छोटी औद्योेगिक इकाईयों एवं स्टार्टअप्स के लिए उपलब्ध अवस्थापना सुविधाओं का आवंटन लॉटरी के माध्यम से किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने प्रमुख औद्योगिक आस्थानों के अलावा राज्य के अन्य क्षेत्रों में सिडकुल के पास उपलब्ध परिसंपत्तियों का पूरा ब्यौरा तैयार कर उनके बेहतर इस्तेमाल की कार्ययोजना तैयार करने तथा आवंटित जमीनों पर तय समय के भीतर औद्योगिक इकाईयों की स्थापना सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में आईटी हब, सेमी कंडक्टर हब, डाटा सेंटर की स्थापना जैसी नए दौर की संभावनाओं को साकार करने के लिए अनुकूल ईको सिस्टम का सृजन करने की दिशा में कारगर पहल किया जाना जरूरी है जिसके लिए संबंधित विभागों व संगठनों को प्रतिबद्धता से जुटना होगा। बोर्ड की बैठक में प्राग फार्म, खुरपिया, नेपा आदि स्थानों पर औद्योगिक आस्थान विकास की योजनाओं सहित रानीपोखरी आदि क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित योजनाओं पर भी विचार-विमर्श कर अनेक महत्वपूर्ण लिए।
औद्योगिक आस्थानों में विद्यमान सब स्टेशनों की क्षमता बढाने तथा खुरपिया फार्म सहित अन्य स्थानों पर नए विकसित किए जा रहे औद्योगिक आस्थानों तक ट्रांसमिशन लाईनों एवं सब स्टेशनों के निर्माण के प्रस्तावों पर भी बोर्ड की बैठक में चर्चा कर निर्णय लिए गए। मुख्य सचिव ने सिडकुल को अधिक प्रभावी व सशक्त बनाने के लिए बोर्ड के अंतर्गत टेक्नीकल समिति सहित अन्य समितियों का गठन करने के निर्देश भी दिए।
बैठक में प्रमुख सचिव आर.मीनाक्षी सुन्दरम, सचिव वित्त दिलीप जावलकर, सचिव उद्योग विनय शंकर पाण्डेय, सिडकुल के प्रबंध निदेशक डॉ. सौरभ गहरवार, निदेशक मंडल के सदस्य सिडबी के डीजीएम सिद्धार्थ मंडल, उद्योगों के प्रतिनिधि के तौर पर स्वतंत्र निदेशक अविनाश विरमानी तथा श्री पुनीत वाधवा सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। .विशिष्ट औद्योगिक” का अर्थ है “औद्योगिक क्षेत्र” या “विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र”। ये ऐसे भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ विनिर्माण संयंत्र, कारखाने और अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठान केंद्रित होते हैं, और इनमें आमतौर पर कुशल श्रम, बुनियादी ढाँचा और कच्चे माल जैसी अनुकूल परिस्थितियाँ होती हैं।
मुख्य बिंदु
परिभाषा: विशिष्ट औद्योगिक वे क्षेत्र हैं जहाँ औद्योगिक गतिविधियों का एक उच्च घनत्व होता है।
उदाहरण: भारत में कुछ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में मुंबई-पुणे क्लस्टर, हुगली क्षेत्र, और छोटानागपुर औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं।
लाभ: उद्योगों के समूह बनाने से कुशल श्रम, बेहतर बुनियादी ढाँचे और सहायक व्यावसायिक वातावरण तक पहुँच आसान हो जाती है।
उत्पादन: इन क्षेत्रों में, कच्चे माल को तैयार उत्पादों में बदलने के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन और विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
महत्व: यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, और रोज़गार प्रदान करते हैं।