
– कर्मचारी यूनियन ने कहा, सेवानिवृत व कार्यरत कार्मिकों के साथ धोखा

– चिकित्सा सुविधा को पूरी तरह बंद करने की साजिश
पहाड़ का सच देहरादून। राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के कार्यरत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी व कर्मचारियों की पेंशन व चिकित्सा सुविधाएं रोके जाने से अधिकारियों व कर्मचारियों में आक्रोश है। राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांग़जन कर्मचारी यूनियन ने कहा कि संस्थान द्वारा सेवानिवृत व कार्यरत कार्मिकों के साथ धोखा किया जा रहा है।
रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में यूनियन के अध्यक्ष जे सी कुकरेती व महासचिव हरि नारायण माली ने कहा राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा संचालित भारत सरकार का एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है। संस्थान की स्थापना जिसकी स्थापना वर्ष 1943 में दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात भारत सरकार के द्वारा पूर्णरूप से संचालित था। सन 1982 में इसको केंद्रीय समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वायत निकाय का स्वरूप प्रदान किया गया। इस समय के नियमों के अनुसार संस्थान में कार्यरत सभी अधिकारी/कर्मचारियों को केन्द्रीय कर्मचारियों के समान ही सभी सुविधाएं प्रदान किये जाने के पारित कार्यालय आदेश से सभी कार्यरत अधिकारी/कर्मचारियों को अवगत करा दिया गया ।
संस्थान के सभी कार्यरत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा को जुलाई 2025 से बंद किये जाते कार्यरत एवं सेवानिवृत अधिकारी/कर्मचारियों के आदेश एवं विरोध के बाद इसे आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया किन्तु अब इस सुविधा को पूरी तरह बंद करनी की साजिश की जा रही है। यूनियन का कहना है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के 26 नवंबर 2024 जारी आदेश के अनुसार संस्थान के सभी कार्यरत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों की पेंशन 31 दिसंबर 2024 से बन्द किए जाने का तुगलकी आदेश सुना दिया गया जिससे संस्थान में कार्यरत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों के आक्रोशित होने पर भीख की भांति छह छह महीने के दो आदेश जारी कर सभी कार्यरत एवं सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारियों के भविष्य एवं हितों पर कुठाराघात किया गया ।
उनका कहना है कि वर्तमान स्थिति में पेंशन केवल दिसंबर 2025 तक ही स्वीकृत की गई है। यह न केवल संस्थान के पूर्व कर्मचारियों के साथ घोर अन्याय एवं शोषण है, बल्कि उनके जीवन और सामाजिक सुरक्षा के अधिकारों का हनन भी है। इस संकट से सभी दृष्टि दिव्यांगजन अधिकारी एवं कर्मचारी भी प्रभावित हो रहे हैं। .यूनियन का कहना है कि प्रधानमंती द्वारा सभी के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ नागरिको के लिए विशेष चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की गई। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार पेंशन पाना प्रत्येक कार्मिक का अधिकार है।
प्रेस वार्ता में संस्थान के कर्मचारी संघ के पदाधिकारी, दृष्टि दिव्यांग तथा अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे ।इस बारे में प्रयास करने के बाद भी nivh प्रबंधन से संपर्क नहीं हो सका। संस्थान का पक्ष आने के बाद प्रकाशित कर दिया जाएगा।
