
बेरोजगार संघ के धरनास्थल पर युवती ने लगाए ..आजादी आजादी के नारे

.आंदोलन के मुद्दों को ‘आजादी’ की तरफ मोड़ने की कोशिश
बेरोजगारों के आंदोलन में फूट डालने की कोशिश नाकाम: भाकपा माले
पहाड़ का सच देहरादून। Uksssc स्नातक परीक्षा के पेपर लीक के प्रकरण को लेकर बेरोजगार संघ के आंदोलन में कुछ दूसरी शक्ल और सूरत की आवाजें भी उठने लगीं हैं जिनके निहितार्थ अभी समझ से परे हैं।
इस बार के आंदोलन में एक नेत्री छीन के लेंगे आजादी के नारे लगाती दिखाई दी। युवा साथी उसके सुर में सुर मिलाते नजर आए। कुछ विश्व विद्यालयों व अन्य जगहों पर आजादी…आजादी के नारे से बेरोजगारों के असली मुद्दे पर राजनीतिक परत चढ़ने की संभावना प्रबल नजर आ रही है।
हाल ही में इस आंदोलन से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक युवती माइक हाथ में लेकर …लड़ कर लेंगे आजादी..जैसे नारे लगाती दिखाई दी। बुधवार रात के समय यह नारेबाजी हुई। युवती के आसपास मौजूद युवा ताली बजा बजा कर नारों के साथ सुर मिलाते दिखाई दिए।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ब बॉबी पंवार समेत हजारों युवा पेपर लीक प्रकरण की सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलित हैं। दून के अलावा अन्य शहरों व गांवों में भी आंदोलन हो रहा है।
इस बीच, राज्य गठन के बाद पहली बार देहरादून में आजादी…आजादी के नारों की गूंज से सरकार और खुफिया तंत्र के कान खड़े हो गए हैं। खुफिया विभाग यह पता करने की कोशिश में जुटा है कि आखिर ये लोग किस मकसद से आंदोलन में कूद रहे हैं।
इस विचारधारा से जुड़े नेताओं और संगठनों पर नजर रखे जाने की भी सूचना मिली है। उधर, राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि अभी तक मुद्दा आधारित बेरोजगारों का आंदोलन शांतिपूर्वक व सही दिशा में चल रहा है। बॉबी पंवार से पूछताछ व हरिद्वार के छात्रों की सचिव शैलेश बगौली से भेंट के बाद तो आंदोलन ने और भी तेजी पकड़ ली है। भेंट का यह प्रयास उल्टा ही पड़ गया। .
बेरोजगारों के आंदोलन में फूट डालने की कोशिश नाकाम-भाकपा माले
. बेरोजगारों के आंदोलन में कूदी भाकपा माले
भाकपा (माले) के राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि सरकार स्कूल के बच्चों को आगे कर आंदोलन में फूट डालना चाहती है। बेरोजगारों के धरना स्थल पर बोलते हुए मैखुरी ने कहा कि पूर्व में भी सरकारी कर्मियों को आगे कर वार्ता की कहानी सभी के सामने है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस बार भी हरिद्वार से छात्रों को गुमराह कर लाया गया। सचिव से मिलवा कर परीक्षा निरस्त नहीं करने की मांग की गई। उन्होंने कहा कि इस साजिश से पर्दा उठ चुका है और फूट डालने की कोशिश नाकाम हो गयी है।
उन्होंने कहा कि आयोग के अध्यक्ष जी.एस. मर्तोलिया अपनी नाकामी स्वीकार करने के बजाय पेपर आउट की तकनीकी परिभाषा देकर युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। आयोग के अध्यक्ष और सचिव को तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा का प्रश्नपत्र परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे के भीतर ही बाहर आ जाना आयोग और राज्य सरकार के “साफ-सुथरी परीक्षा” कराने के दावे को कटघरे में खड़ा करता है। यह घटना सरकार के नकल विरोधी कानून की पोल खोलती है।
मैखुरी ने आरोप लगाया कि यह घटना बताती है कि पूर्व में नकल कांड में गिरफ्तार हाकम सिंह की कार्रवाई महज एक छोटा स्टंट थी। उन्होंने सवाल उठाया कि सख्त कानून के बावजूद हाकम सिंह जेल से बाहर आकर फिर सक्रिय कैसे हो गया। सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए और हाकम सिंह के हाकिमों का खुलासा होना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में आयोग से लेकर विधानसभा तक हुई तमाम भर्तियों की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से कराई जानी चाहिए। विधानसभा में बैकडोर से नियुक्तियों के मामले में केवल कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई, लेकिन उन अध्यक्षों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया जिन्होंने नियुक्तियां की थीं। उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
